श्रद्धा के साथ भक्ति नही होगी तो परमात्मा से मिलन नहीं होगा:धैर्य मुनि

By :  vijay
Update: 2025-08-05 07:10 GMT
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आसींद(सुरेन्द्र संचेती)इंसान को भगवान से सीधा संबंध स्थापित करना है तो द्रव्य भक्ति और भाव भक्ति करनी होगी। विचारो में स्थिरता नहीं होने से भाव भक्ति नहीं हो पाती है। भक्ति में अपार शक्ति विद्यमान है। हम एकाग्रचित होकर परमात्मा की भक्ति नहीं करेंगे तब तक परमात्मा से मिलन नहीं होगा और हम चारों और भटकते रहेंगे। भक्ति तीन प्रकार से की जा सकती है पत्थर की तरह,पुतली की तरह, मिश्री की तरह। हमे मिश्री की तरह भक्ति करनी है तभी भगवान मिल सकते है। उक्त विचार नवदीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।

प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता ने कहा कि पृथ्वी पर तीन प्रकार के आभूषण है। पहला धनवान होकर भी नम्रता हो, दूसरा तपस्वी होकर क्षमावान हो ,तीसरा ज्ञानी होकर सरल हो। जिसमें यह तीनों गुण है वह व्यक्ति उत्तम पुरुष है। आज के युग में संयुक्त परिवार का अभाव है जिसके कारण कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मोबाइल और टीवी ने सयुक्त परिवार को छीन लिया है। हर व्यक्ति आज दिनभर मोबाइल में व्यस्त है उसको अपने लोगों के साथ बातचीत करने, उठने, बैठने की बिल्कुल परवाह नहीं है। साध्वी प्रज्ञालता ने कहा कि हम जानते सब कुछ है लेकिन उसको आचरण में नहीं लाते है।जब तक आचरण में नहीं लाएंगे तब तक हमारे जीवन में परिवर्तन नहीं आ पायेगा। परिवर्तन नहीं आएगा तो मोक्ष में जाने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। धर्म सभा में अनेक श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।

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