भीलवाड़ा में गणेश चतुर्थी की धूम, भक्ति और उत्सव का अद्भुत संगम,मेले में उमड़े लोग, पांडालों में डांडिया की खनक

Update: 2025-08-27 19:20 GMT

 

भीलवाड़ा, हलचल  बुधवार को भीलवाड़ा जिले में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। शहर की हर गली-मोहल्ला भगवान गणेश की भव्य झांकियों, रंग-बिरंगे पंडालों और भक्ति भरे माहौल से सजा हुआ था। इस अवसर पर गणपति बप्पा के दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, और उत्सव का माहौल देर रात तक बना रहा। गणेश चतुर्थी के पहले दिन की आरती के बाद युवा, बालक-बालिकाएं रंग-बिरंगी पारंपरिक पोशाकों में डांडिया और गरबा की मस्ती में डूबे नजर आए। यह उत्सव अगले दस दिनों तक शहर में अपनी खनक बिखेरेगा, जिसमें भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।

शहर के गांधीनगर स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर इस बार भी आकर्षण का केंद्र रहा। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों और आकर्षक सजावट से सजाया गया था। मंदिर परिसर में आयोजित मेले में देर रात तक लोग दर्शन और उत्सव का आनंद लेते रहे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोग इस मेले में शामिल हुए। मेले में विभिन्न प्रकार के स्टॉल्स, खानपान की दुकानें और झूलों ने सभी का मनोरंजन किया। गणेश मंदिर के पुजारी पंडित ने बताया कि इस बार मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और आरती का आयोजन किया गया, 5001 मोदक  का  भवन  को  भोग  लगाया  gya  जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित गणेश पंडालों में एक से बढ़कर एक भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। खासकर, सुभाष नगर में स्थापित एक विशाल गणेश प्रतिमा ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस प्रतिमा की सजावट में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी शामिल किया गया है, जिसमें प्राकृतिक रंगों और पुनर्चक्रण योग्य सामग्री का उपयोग किया गया है। स्थानीय निवासी अनीता   शर्मा ने कहा, "इस बार गणेशजी की प्रतिमा और पंडाल की सजावट देखकर मन प्रसन्न हो गया। यह न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।"

युवाओं में डांडिया और गरबा का उत्साह भी देखते ही बन रहा था। सायंकालीन आरती के बाद कई स्थानों पर डांडिया नृत्य का आयोजन हुआ, जिसमें युवा रंग-बिरंगी पोशाकों में थिरकते नजर आए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों ने भक्ति भजनों और लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया। एक युवा प्रतिभागी नेहा ने बताया, "गणेश चतुर्थी का उत्सव हमें अपनी संस्कृति से जोड़ता है। डांडिया और गरबा में हिस्सा लेना हमें बेहद खुशी देता है।"

स्थानीय प्रशासन ने भी इस अवसर पर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। पंडालों और मंदिरों के आसपास पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें। इसके अलावा, ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए।

गणेश चतुर्थी का यह उत्सव भीलवाड़ा में अगले दस दिनों तक चलेगा, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन होंगे। स्थानीय लोग इस पर्व को एकता और भक्ति के प्रतीक के रूप में देखते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करता है।


 

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