हमीरगढ़ कस्बे को फिर से ग्राम पंचायत बनाने की मांग,कस्बे की दुकाने बंद रखकर जताया विरोध

By :  vijay
Update: 2025-04-07 11:17 GMT
हमीरगढ़ कस्बे को फिर से ग्राम पंचायत बनाने की मांग,कस्बे की दुकाने बंद रखकर जताया विरोध
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हमीरगढ़ अलाउद्दीन मंसूरी।हमीरगढ़ को नगर पालिका से हटाकर फिर से ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर रावत युग प्रदीप सिंह राणावत के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।कस्बेवासियों ने नगर पालिका को पुनः ग्राम पंचायत बनाने की मांग करते हुए सोमवार को कस्बे को आधे दिन शट डाउन रखकर रोष जताया।कस्बे की सभी दुकानों की सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक बन्द रखा।हमीरगढ़ व्यापारिक मण्डल,विभिन्न हिन्दू सामाजिक संगठनों एवं मुस्लिम समाज ने बन्द का भरपूर समर्थन किया।पूर्व सरपंच प्रतिनिधि रतनलाल मंडोवरा ने बताया कि गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में आनन फानन में बिना जनता की राय लिए हमीरगढ़ ग्राम पंचायत को नगर पालिका बना दिया था लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था कस्बेवासियों ने हमीरगढ़ को नगर पालिका बनाने पर भारी रोष जताते हुए मुख्यमंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक लादू लाल पितलिया को ज्ञापन देकर पुनः ग्राम पंचायत बनाने का प्रस्ताव भेजा था।उस समय विधायक ने नई नगर पालिका बनी हमीरगढ़ तथा रायपुर दोनों को पुनः ग्राम पंचायत बनाने का भरोसा दिलाया था वहीं रायपुर नगर पालिका को कुछ दिन बाद निरस्त कर दिया गया लेकिन हमीरगढ़ को अब तक नगर पालिका ही रखा गया है।इससे विधायक की अपने ही विधानसभा क्षेत्र में दोतरफा राजनीतिक छवि उभरकर नजर आई है।विधायक जहां रायपुर को पुनः ग्राम पंचायत बनाने का प्रस्ताव देकर निरस्त करने के बाद वहां की जनता के रहनुमा बन गए और हमीरगढ़ की जनता को नगर पालिका रूपी दीमक के हवाले कर दिया।विधायक की दोमुही राजनीति के चलते लोगों में उनके प्रति दिनोंदिन रोष बढ़ता जा रहा है।नगर पालिका में 90% लोग एससी एसटी एवं ओबीसी मजदूर वर्ग से आते है।लोगों का कहना है कि जो कार्य ग्राम पंचायत में महज चंद रूपयों में हो जाता था वहीं अब नगर पालिका बनने के बाद बीस गुणा खर्च करने के बाद भी नहीं हो पा रहा है।नगर पालिका को बने ढाई साल होने को आए है लेकिन अब तक एक भी बोर्ड की मीटिंग नहीं हुई है और ना ही कोई आवासीय पट्टे जारी किए गए।नगर पालिका में प्रशासनिक सेवाएं इतनी जटिल होती है कि वे साधारण व्यक्ति की समझ से परे है।नगर पालिका बनने के बाद यहां की जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है वहीं नगर पालिका में जमीनों के कन्वर्जन के कार्य जिनमें पालिका अधिकारी एवं कर्मचारी अपने निजी लाभ साधने में लगे हुए है।नगर पालिका में जनता का कोई भी काम सहज प्रणाली से नहीं हो रहा है।नगर पालिका बनने के बाद सरकार ने पालिका को विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए दिए।लेकिन अबतक हमीरगढ़ में कोई भी विकास कार्य दिखाई नहीं दे रहा है।इन ढाई सालों में नगर पालिका में एक भी बोर्ड बैठक आयोजित नहीं हुई जबकि सरकार के नियम के अनुसार हर तीन महीने में एक बैठक होनी आवश्यक है।सरकार के नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।

अध्यक्ष,अधिशासी अधिकारी एवं कर्मचारीयों किसी को भी सरकारी नियम कायदों की कोई परवाह नहीं है।ग्राम पंचायत कार्यकाल के समय जिन किसानों के बिजली बिल माफ थे नगर पालिका बनने के बाद किसानों को मोटी आय बिजली बिल चुकाने में व्यय हो रही है।कृषि विभाग से किसानों को मिलने वाले लाभ भी अब उन्हें नहीं मिल पा रहे है।इस अवसर पर हर्ष प्रदीप सिंह,सुनील व्यास,विक्रम सिंह गोगावत,जगदीश वैष्णव,सुशील भट्ट,पूर्व सरपंच शंकर लाल गुर्जर,राकेश सुथार,राजू आचार्य,तुलसीराम भांड,व्यापार मंडल अध्यक्ष ओम सोनी,शंकर सिंह डोडिया,मोहम्मद इमरान उस्ता,अब्दुल रज्जाक,शब्बीर नीलगर,अब्दुल मुबारिक,पार्षद दुर्गा लाल नायक, हरीश पारीक, सलीम मंसूरी,एडवोकेट श्रीनाथ पाराशर और सुरेश प्रजापत मौजूद रहे।सभी ने एक स्वर में कहा कि हमीरगढ़ की मूल पहचान ग्राम पंचायत की रही है।नगर पालिका बनने के बाद विकास कार्यों में रुकावट आई है।ग्रामीणों की समस्याएं बढ़ी हैं। इसलिए इसे फिर से ग्राम पंचायत घोषित किया जाए।कस्बेवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि हमीरगढ़ को फिर से ग्राम पंचायत नहीं बनाया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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