बालिकाओं में आत्मविश्वास और जागरूकता का संचार ,न्यूरो शक्ति’ पायलट प्रोजेक्ट से आत्मसुरक्षा और साइबर जागरूकता की अनूठी पहल

Update: 2025-10-10 14:11 GMT


भीलवाड़ा।  आधुनिक डिजिटल युग में बालिकाओं के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा को लेकर समाज में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसी दिशा में सोशियोनेस्ट इम्पैक्ट स्ट्रेटेजीज़ की ओर से एक अभिनव पहल की गई — “न्यूरो शक्ति” पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत भीलवाड़ा के सरकारी विद्यालयों में शुक्रवार को आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से 7 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 100 से अधिक बालिकाओं को आत्मविश्वास, भावनात्मक संतुलन और साइबर सुरक्षा की उपयोगी जानकारी दी गई।

यह कार्यशाला महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय किशनावतों की खेड़ी तथा पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बापूनगर में आयोजित की गई, जहां छात्राओं ने खेल, कहानी, संवाद और वास्तविक जीवन की स्थितियों पर आधारित कई गतिविधियों में भाग लेकर जीवन कौशल सीखने का अवसर प्राप्त किया।

कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय की सीख

कार्यशाला के दौरान छात्राओं को सिखाया गया कि कैसे कठिन या आपातकालीन परिस्थितियों में दिमाग को शांत रखते हुए सही निर्णय लिए जा सकते हैं। उन्हें यह भी बताया गया कि भावनात्मक रूप से संतुलित रहना न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए जरूरी है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की कुंजी भी है।

साइबर सुरक्षा पर जागरूकता

सोशियोनेस्ट इम्पैक्ट स्ट्रेटेजीज़ की संस्थापक डॉ. नित्या शर्मा ने छात्राओं को सोशल मीडिया पर सावधानी बरतने, व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता बनाए रखने और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आज की डिजिटल दुनिया में बच्चों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि इंटरनेट का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक और सुरक्षित तरीके से कैसे किया जाए।

डॉ. शर्मा ने बताया कि “न्यूरो शक्ति” प्रोजेक्ट का उद्देश्य बालिकाओं के मस्तिष्क, शरीर और भावनात्मक शक्ति को जाग्रत करना है, ताकि वे जीवन की हर परिस्थिति में आत्मविश्वास, विवेक और सुरक्षा के साथ आगे बढ़ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से बालिकाओं को अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानने और अपने निर्णयों में दृढ़ता लाने की प्रेरणा दी जा रही है।

भावनात्मक सशक्तिकरण की दिशा में कदम

कार्यशाला में विशेष रूप से “भावनात्मक बुद्धिमत्ता” (Emotional Intelligence) पर भी ध्यान दिया गया। छात्राओं को यह समझाया गया कि कैसे अपनी भावनाओं को पहचानना, नियंत्रित करना और सकारात्मक दिशा में उपयोग करना चाहिए। संवाद आधारित सत्रों में बालिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उन्हें इस तरह की जानकारी पहले कभी नहीं मिली थी।

शिक्षकों ने सराहा पहल

विद्यालयों के शिक्षकों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ बालिकाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित और सजग नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर केंद्रित यह पहल शिक्षा के पारंपरिक ढांचे से आगे बढ़कर एक नई सोच प्रस्तुत करती है।

प्रतिभागियों को मिला प्रमाणपत्र

कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। आयोजन के दौरान प्री–पोस्ट फीडबैक फॉर्म भरवाए गए, जिनसे यह पता लगाया गया कि कार्यशाला से पहले और बाद में बालिकाओं की सोच, आत्मविश्वास और जागरूकता के स्तर में कितना परिवर्तन आया। प्रारंभिक परिणामों में यह देखा गया कि अधिकांश छात्राओं ने खुद को अधिक आत्मविश्वासी और सुरक्षित महसूस करने की बात कही।

समाज में सकारात्मक बदलाव की पहल

डॉ. नित्या शर्मा ने बताया कि सोशियोनेस्ट इम्पैक्ट स्ट्रेटेजीज़ का लक्ष्य इस प्रोजेक्ट को आने वाले समय में राजस्थान के अन्य जिलों में भी विस्तार देना है। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि यदि बालिकाएँ मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त होंगी, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बनेंगी।”

यह पहल इस बात का प्रमाण है कि यदि शिक्षा के साथ जीवन कौशल और जागरूकता को जोड़ा जाए तो बालिकाओं का विकास केवल अकादमिक तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वे समाज में आत्मविश्वास के साथ अपनी जगह बना सकती हैं।

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