माता की सवारी हाथी पर बैठकर आयेगी-शास्त्री

By :  vijay
Update: 2025-03-28 06:38 GMT
माता की सवारी हाथी पर बैठकर आयेगी-शास्त्री
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भीलवाड़ा /टोंक। बसंतीय नवरात्रा का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 29 मार्च शनिवार सांय 4.28 बजे से प्रारंभ हो रही है। 30 मार्च रविवार को प्रतिपदा तिथि प्रात: सूर्योदय से दोपहर 12.49 बजे तक है। बसंत नवरात्रा का प्रारंभ चैत्र शुक्ल में उदय व्यापिनी प्रतिपदा तिथि द्विस्वभाव लग्न युक्त प्रात: काल में होता है, जिसमें चित्रा नक्षत्र वैधृति योग को वर्जित बताया गया है, परन्तु अभिजित मुहुर्त में करने के शास्त्र निर्देश है, इस वर्ष रेवती नक्षत्र सूर्योदय से दोपहर 16.34 बजे तक है, उपरांत अश्विनी नक्षत्र का शुभारंभ है, सूर्योदय सुबह 6.24 बजे से है, इस दिन वैधृति योग दोपहर 5.53 के बाद से है, जिसमें घटस्थापना निषेध है। अत: घट स्थापना देवी का आह्ववान के लिये देवी पुराण तिथि तत्व में प्रात: काल का समय द्विस्वभाव लग्न श्रेष्ठ बताया गया हैं। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा रविवार को सूर्योदय सुबह 6.24 बजे होगा, द्विव स्वभाव मीन लग्न सुबह 7.07 बजे तक रहेगा। अत सुबह 6.24 से 7.07 बजे तक सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा । अभिजित दोपहर 12.07 से 12.56 बजे तक शुभमुहुर्त है, जिसमें द्विव स्वभाव मिथुन लग्न रहेगा, चर लाभ अमृत का चोघडिया सुबह 7.56 से दोपहर 12.31बजे तक है। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि माता जी की सवारी इस वर्ष हाथी पर बैठकर आ रही है, भागवत पुराण शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना एवं प्रस्थान करना सुख समृद्धि एवं शान्ति का प्रतिक है, किसानों को फसले अच्छी होने के शुभ संकेत है, पानी की कमी नही रहेगी। बाबूलाल शास्त्री ने बताया स्वार्थ सिद्धि योग 30 मार्च रविवार को दोपहर 4.34 बजे से 31 मार्च सुबह 6.23 तक, 1 अप्रेल में 11.06 बजे से 2 अप्रेल सुबह 8.49 बजे तक, 5 अप्रेल सुबह 5.20 से 6.18 तक, 6 अप्रेल सुबह 6.17 से, 7 अप्रेल सुबह 6.24 तक 8 अप्रेल सुबह 6.24 से 7.54 तक रहेगा। अमृत योग प्रात: 6.22 से 6.32 तक, 2 अप्रेल रात्री 23.50 से 3 अप्रेल सुबह 6.19 तक, 6 अप्रेल 7.23 रात्रि से 7 अप्रेल रात्रि 8 बजे तक अमृत योग रहेगा। बाबूलाल ने बताया कि शाम 6 अप्रेल रविवार को रामनवमी है, जो रात्रि 7.23 बजे तक है, सूर्योदय से पूर्व 5.32 बजे से पुष्य नक्षत्र का संयोगबन रहा है, जो रवि पुष्य नक्षत्र का जो शुभाशुभ श्रेष्ठ योग है, जो सम्पूर्ण रात्रि 7 अप्रेल को सुबह 6.24 बजे तक है, नवरात्रि में रवि पुष्य नक्षत्र का आना विशेष अद्भुत योग है, इस अवधि में किये गए कार्यो का विशेष शुभाशुभ फल एवं सफलता मिलती है ।

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