मुस्लिम परिवार ने हिन्दू बहन को भराया मायरा
भीलवाड़ा । जिले में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जहाँ एक ओर समाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम किया जा रहा है वही दूसरी ओर सामाजिक समरसता और आपसी प्रेम का संदेश देते हुए जवाहर नगर में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल देखने को मिली। उपनगर पुर से मुस्लिम परिवार ने हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अपनी हिंदू बहन सुनीता को मायरा पहनाया। ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए इस रस्म को पूरे उत्साह के साथ निभाया गया। यह घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई। सुनीता और मुस्लिम परिवार का 15 साल पुराना रिश्ता है।
सुनीता के लड़के का विवाह समारोह आयोजित किया गया। सुनीता ने 15 वर्ष पूर्व उपनगर पुर निवासी असगर अली नीलगर को राखी बांधकर अपना भाई माना था। सुनीता का भाई नही होने पर असगर अली ने वचन दिया था कि वे सगे भाई की तरह हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।
रक्षाबंधन से लेकर हर सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रम में असगर अली सुनीता के परिवार के साथ अपनी बहन मानकर शामिल होता है। आयोजित विवाह समारोह में भी असगर अली ने अपना वचन निभाते हुए मायरा लाने की रस्म पूरी की।
मायरे में बहन को 300 ग्राम चांदी के पायजेब,21000 रुपये नकद ,चांदी की अंगूठी व जीजा को हाथ का चांदी का पाव का ब्रेसलेट और 11000 रुपये नकद उपहार दिया गया। यह मायरा एक सामाजिक समरसता और आपसी प्रेम का संदेश बन गया। देशभर में यह शादी केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं बल्कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बन गई।
धूमधाम से निभाई गई रस्म में उपनगर पुर से मंजूर मोहम्मद डायर, एडवोकेट फारूक अहमद डायर, मोहम्मद उमर नीलगर,नवाज मोहम्मद ,गुलजार अहमद,रफीक मोहम्मद,लतीफ नीलगर,डालचंद गाडरी और अन्य सदस्य मायरा लेकर पहुंचे। इस रस्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।