मुस्लिम युवाओं ने निभाया इंसानियत का फर्ज, हिंदू महिला का किया अंतिम संस्कार
भीलवाड़ा । गांधी नगर स्थित जंगी चौक में रविवार को इंसानियत और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली। 67 वर्षीय हिंदू महिला शांति देवी का निधन हो गया, लेकिन उनके परिवार में ऐसा कोई नहीं था जो उनका अंतिम संस्कार कर सके। ऐसे समय में मोहल्ले के मुस्लिम युवाओं ने उन्हें मां की तरह मानते हुए आगे आकर अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी उठाई।
शांति देवी पिछले 15 वर्षों से जंगी चौक में सलीम कुरैशी के मकान में रह रही थीं। वे लंबे समय से बीमार थीं और महात्मा गांधी अस्पताल में इलाजरत थीं। उनकी देखभाल मोहल्ले के असगर अली खान कर रहे थे। रविवार को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
परिवार का कोई सदस्य न होने के कारण यह चिंता थी कि अंतिम संस्कार कौन करेगा। ऐसे में असगर अली खान ने शांति देवी को मां समान मानते हुए अंतिम संस्कार का संकल्प लिया। उन्होंने न केवल अर्थी को कंधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार की सभी हिंदू रीति-रिवाजों का पालन भी किया।
असगर के साथ मोहल्ले के अशफाक कुरैशी, शाकिर पठान, फिरोज कुरैशी कांचा, आबिद कुरैशी, असगर पठान, अशफाक, इनायत और जाबिद कुरैशी सहित कई युवाओं ने मिलकर अंतिम यात्रा की तैयारी की।
शाम को मध्य प्रदेश से शांति देवी के कुछ रिश्तेदार भी भीलवाड़ा पहुंचे और उन्होंने भी अंतिम यात्रा में भाग लिया। मोक्ष रथ से अर्थी को श्मशान ले जाया गया, जहां विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम यात्रा के दौरान मोहल्ले की महिलाएं भावुक हो उठीं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। यह दृश्य इंसानियत, भाईचारे और धार्मिक सौहार्द का एक जीवंत उदाहरण बन गया। भीलवाड़ा की यह घटना साबित करती है कि जब बात मानवता की होती है, तब धर्म की दीवारें अपने आप मिट जाती हैं।
