ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और शरणागति का महत्व समझाती है रामचरितमानस - स्वामी अच्युतानंद
भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में आयोजित चातुर्मास प्रवचन में मंगलवार को केदारखण्ड, अगस्त्य मुनि आश्रम से पधारे स्वामी अच्युतानंद ने अपने आशीर्वचनों से भक्तों को भावविभोर कर दिया। प्रवचन में बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे और स्वामी जी के मधुर वचनों से अभिभूत होकर भक्ति की राह पर चलने का संकल्प लिया। स्वामी जी ने कहा कि रामचरितमानस धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष: यह चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करने का मार्ग बताता है, जिसमें धर्म को सर्वोपरि महत्व दिया गया है। आदर्श जीवन: राम, सीता, भरत, लक्ष्मण और हनुमान जैसे पात्रों के माध्यम से आदर्श पुत्र, पत्नी, भाई, भक्त और राजा के गुणों का चित्रण किया गया है।नैतिक मूल्य: सत्य, प्रेम, करुणा, क्षमा, धैर्य, विनम्रता और संतोष जैसे नैतिक मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है। भक्ति: ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और शरणागति का महत्व समझाता है, जिसे मोक्ष का सरल मार्ग बताया गया है। कर्मफल: कर्मों के अनुसार फल मिलने के सिद्धांत को स्पष्ट करता है, सद्कर्मों की प्रेरणा देता है। सामाजिक समरसता: विभिन्न जातियों और वर्गों के लोगों के बीच प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है, भेदभाव को नकारता है। न्याय और अन्याय: न्याय की स्थापना और अन्याय के विनाश का संदेश देता है, रावण के पतन से अधर्म का परिणाम दिखाता है। रामचरितमानस एक ऐसी जीवन-शैली का मार्गदर्शन करता है जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि एक सुखी, समृद्ध और नैतिक समाज के निर्माण में भी सहायक है। यह प्रेम, सेवा और त्याग के माध्यम से परमार्थ का मार्ग प्रशस्त करता है। ट्रस्ट के सचिव अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि चातुर्मास प्रवचन का यह आध्यात्मिक आयोजन प्रतिदिन सुबह 9 बजे से रामधाम में हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित होकर धर्मलाभ ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, श्रावण मास के पावन अवसर पर शिवालय में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। पंडित सुशील शुक्ला, पंडित रमाकांत शर्मा, पंडित रामू आचार्य सहित अन्य विद्वान पंडितों के मंत्रोचार के बीच प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान शिव का अभिषेक और श्रृंगार किया जा रहा है, जिससे रामधाम का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। मंगलवार को ट्रस्ट के राकेश सिंहल व अशोक सोमानी ने भगवान का अभिषेक किया। 29 व 30 जुलाई को तुलसीदास जयंती मनाई जाएगी।