प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध नहीं तो महिला भरण-पोषण की हकदार

Update: 2025-02-14 13:13 GMT

हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि पत्नी के प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध नहीं हैं, तो वह भरण-पोषण की हकदार है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जी. एस. अहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125(4) के अनुसार, यदि पत्नी व्यभिचार (संभोग) में संलिप्त पाई जाती है, तो उसे भरण-पोषण राशि से वंचित किया जा सकता है। हालांकि, यदि पत्नी किसी अन्य व्यक्ति से प्रेम करती है, तो भी वह भरण-पोषण राशि प्राप्त करने की हकदार होगी।

अदालत ने यह निर्णय एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया, जिसे इंदौर निवासी अमित कुमार खोडके ने दायर किया था। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी द्वारा लिखी गई एक डायरी प्रस्तुत की थी, जिसमें पत्नी ने किसी अन्य व्यक्ति से प्रेम संबंध होने और आत्महत्या की बात लिखी थी। छिंदवाड़ा कुटुंब न्यायालय ने अनावेदक पत्नी को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 125 के तहत 4,000 रुपये अंतरिम भरण-पोषण राशि प्रदान करने का आदेश दिया था।

याचिकाकर्ता ने अदालत में अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वह एक निजी अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्यरत है और उसका वेतन केवल 8,000 रुपये प्रति माह है। इसके अलावा, उसके पिता ने उसे सार्वजनिक सूचना के माध्यम से संपत्ति से बेदखल कर दिया है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि वह पहले से ही धारा 24 के तहत पारित आदेश के अनुसार 4,000 रुपये की राशि पत्नी को प्रदान कर रहा है, जो कि उसके वेतन का आधा हिस्सा है।

एकलपीठ ने डायरी का अवलोकन करने के बाद पाया कि उसमें पति द्वारा पत्नी को प्रताड़ित किए जाने का भी उल्लेख है। इसके अलावा, विवाह से पहले आवेदक और उसके परिजनों ने संपत्ति के संबंध में झूठी जानकारी दी थी। एकलपीठ ने यह भी देखा कि याचिकाकर्ता ने पहले वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत आवेदन किया था, जिसे बाद में वापस लेकर तलाक की याचिका दायर कर दी।

अदालत ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत डिक्री पारित होने के बावजूद भी पत्नी भरण-पोषण राशि की हकदार बनी रहती है। एकलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह दलील गलत है कि पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति से प्रेम संबंध होने के कारण उसे भरण-पोषण नहीं दिया जाना चाहिए। पति की कम आय भरण-पोषण से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती है। यदि वह अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है, फिर भी विवाह करना उसका स्वयं का निर्णय था, और उसे भरण-पोषण राशि देने के लिए कमाना ही होगा।

एकलपीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता का यह दावा कि उसकी पत्नी का ब्यूटी पार्लर है और उसे इससे आय होती है, बिना किसी दस्तावेजी प्रमाण के किया गया है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने अपने पिता द्वारा उसे संपत्ति से बेदखल किए जाने के संबंध में एक सार्वजनिक सूचना की प्रति प्रस्तुत की थी। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता और उसके पिता का पता सार्वजनिक सूचना में एक ही है, जिससे यह प्रतीत होता है कि संपत्ति से बेदखली मात्र एक कानूनी औपचारिकता हो सकती है।

अदालत ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को हस्तक्षेप के योग्य न पाते हुए खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विट्ठल राव जुमडे ने पैरवी की।प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध नहीं तो महिला भरण-पोषण की हकदार

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