भारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में भारी गिरावट, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

Update: 2025-01-02 11:03 GMT

नई दिल्ली । भारत में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने बताया है कि देश में नवजात बच्चों में लड़कों की संख्या चार दशकों में 54 प्रतिशत से घटकर 51.2 प्रतिशत रह गई है। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा कि उत्तरी राज्यों सभी पैदा हुआ लड़कों का प्रतिशत अभी भी ज्यादा बना हुआ है।

100 लड़कियों पर थे 110 लड़के

1980 के दशक के उत्तरार्ध से भारत का जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) विश्व स्तर पर सबसे अधिक रहा है। अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने 2022 की रिपोर्ट में अनुमान, पिछले दो दशकों में भारत का एसआरबी 100 लड़कियों पर 110 लड़के थे, जो चीन (115), आर्मेनिया (114) और वियतनाम (111) के बराबर है।

लिंग जांच में आई गिरावट

पुरुष बच्चों के लिए प्राथमिकताएं और अल्ट्रासाउंड स्कैन सहित प्रसवपूर्व निदान तकनीकों के प्रसार ने 1980 के दशक के उत्तरार्ध से भारत के SRB में गिरावट में योगदान दिया। 1994 में कानून निर्माताओं ने भ्रूण के लिंग प्रकटीकरण पर प्रतिबंध नहीं लगा दिया है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने चिंता जाहिर की है। उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान होने के बावजूद प्रसवपूर्व लिंग प्रकटीकरण जारी रहा है। इससे महिला भ्रूणों का चयनात्मक गर्भपात हो रहा है।

पंजाब और हरियाणा में लिंगानुपात ज्यादा

नए शोध से पता चला है कि SRB वांछित दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन समान रूप से नहीं। समग्र गिरावट के बीच सबसे अमीर घरों में जन्म के समय असामान्य रूप से उच्च अनुपात में पुरुष दिखाई देते हैं। 2012-21 की अवधि के दौरान, नवजात बच्चों में लड़कों का प्रतिशत सबसे अमीर घरों में 52.8, मध्यम वर्ग के घरों में 52.1 और सबसे गरीब घरों में 51.1 था। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में भी पुरुष जन्मों का उच्च अनुपात बना हुआ है, जिसमें पंजाब और हरियाणा शामिल हैं।

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