भीलवाड़ा में गणेश महोत्सव का अनोखा संगम : आस्था, उल्लास और संस्कृति के रंग में डूबा शहर
भीलवाड़ा हलचल। गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ दस दिवसीय गणेश महोत्सव इस बार भीलवाड़ा शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था, भक्ति, उल्लास और सांस्कृतिक रंगों का अद्भुत संगम बनकर सामने आया है। नगर की गलियों से लेकर प्रमुख चौकों तक गणपति बप्पा का जयघोष गूंज रहा है। जगह-जगह स्थापित आकर्षक प्रतिमाएं न सिर्फ श्रद्धालुओं को भक्ति भाव में सराबोर कर रही हैं, बल्कि कलाकारों की रचनात्मकता और सामाजिक संदेशों को भी जीवंत कर रही हैं।
बारिश के बीच भी नहीं टूटा उत्साह
हालांकि बीच-बीच में हुई बारिश ने कुछ स्थानों पर असुविधा जरूर पैदा की, मगर श्रद्धालुओं के जोश और आस्था में कोई कमी नहीं आई। लोग छातों और बरसाती में भी पांडालों तक पहुंच रहे हैं। भीलवाड़ा के लेबर कॉलोनी, चंद्रशेखर आजाद नगर और माणिक्यनगर जैसे इलाकों के पांडाल इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यहां की भव्य प्रतिमाएं और सुंदर सजावट हर किसी का मन मोह रही हैं।
सामूहिक आरती और डांडिया रास का उल्लास
शाम ढलते ही पांडालों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। गणेश प्रतिमाओं के सामने सामूहिक आरती का अलौकिक दृश्य भक्तों को भक्ति रस में डुबो देता है। आरती के बाद शुरू होता है डांडिया रास और गरबा का रंगारंग आयोजन। महिलाएं पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में सजी-धजी जब ताल पर थिरकती हैं, तो पूरा वातावरण उल्लास से भर उठता है। बच्चे और युवा भी उत्साहपूर्वक इन आयोजनों में भाग लेकर महोत्सव को और अधिक जीवंत बना रहे हैं।
सांस्कृतिक मंचों पर रचनात्मक प्रस्तुतियां
गणेश महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का भी बड़ा मंच बन गया है। शहर के विभिन्न पांडालों में प्रतिदिन गीत-संगीत, नृत्य, नाटक और कवि सम्मेलन जैसी प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं। स्थानीय कलाकारों से लेकर स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी तक अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे नई पीढ़ी में संस्कृति और परंपरा के प्रति लगाव भी बढ़ रहा है।
झांकियों में झलके धार्मिक और सामाजिक संदेश
इस बार गणेश झांकियों में विशेष आकर्षण देखा जा रहा है। कई पांडालों में सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती और स्वच्छता, शिक्षा व पर्यावरण संरक्षण जैसे संदेश देती झांकियां लगाई गई हैं। श्रद्धालु जब इन झांकियों को देखते हैं तो भक्ति के साथ-साथ सामाजिक सरोकार से भी जुड़ाव महसूस करते हैं।
उत्सव में एकजुटता और सामूहिकता का भाव
गणेश महोत्सव ने भीलवाड़ा में समाज की एकजुटता और भाईचारे की मिसाल पेश की है। अलग-अलग वर्गों और समुदायों के लोग एक साथ मिलकर आयोजन की तैयारी और संचालन में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। यही कारण है कि हर शाम शहर का माहौल एक मेले जैसा हो जाता है, जहां श्रद्धा, संगीत और उत्साह का संगम दिखाई देता है।
समापन की तैयारियां
अब महोत्सव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। श्रद्धालु भाव-विभोर होकर बप्पा से मनोकामनाएं मांग रहे हैं और अगले वर्ष फिर धूमधाम से स्वागत का संकल्प ले रहे हैं। विसर्जन के दिन पूरे शहर की सड़कों पर शोभायात्राओं की भव्यता देखने लायक होगी।
