नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि (काली माता) की पूजा का विधान है। इन्हें सबसे उग्र और शक्तिशाली रूप माना जाता है। भक्त सच्चे मन से पूजा करके जीवन की सभी बाधाओं और भय से मुक्त हो सकते हैं।
📖 मां कालरात्रि की कथा
एक बार दानवों के अत्याचार से तीनों लोक त्राहि-त्राहि करने लगे। देवताओं ने मिलकर आदिशक्ति की आराधना की। उसी समय मां ने अपने उग्र रूप—कालरात्रि का अवतार लिया। उनका रंग घने अंधकार जैसा काला था, बाल खुले थे, गले में विद्युत-सी चमकती माला थी और सांसों से अग्नि की ज्वाला निकल रही थी।
मां ने असुरों का संहार कर देवताओं और ऋषियों को भयमुक्त किया। तभी से इन्हें भय दूर करने वाली और संकट हरने वाली देवी कहा जाने लगा।
🙏 सातवें दिन का महत्व
मां कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती है।
घर में नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत और बुरी शक्तियां पास नहीं आतीं।
भक्त को साहस, आत्मविश्वास और अदम्य शक्ति की प्राप्ति होती है।
🪔 पूजन विधि
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
मां कालरात्रि की प्रतिमा/चित्र के सामने दीपक व धूप जलाएं।
लाल फूल, गुड़ और धान चढ़ाएं।
कालरात्रि स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अंत में "ॐ कालरात्र्यै नमः" मंत्र का 11 बार जप करें।
✨ मान्यता है कि सातवें दिन इस कथा और पूजा से मां काली प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और जीवन के सभी दुखों को हर लेती हैं।
