हरतालिका तीज पर क्यों की जाती है मिट्टी के शिवलिंग बनाकर पूजा

Update: 2025-08-23 07:33 GMT

हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व सुहागिन महिलाओं और कुँवारी कन्याओं के लिए है, क्योंकि यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माता पार्वती की तपस्या और भगवान शिव को पति रूप में पाने की कथा इस व्रत की आधारशिला है। इस दिन मिट्टी के शिवलिंग और माता पार्वती की मूर्ति की पूजा की परंपरा रही है। नीचे माता गौरी के शृंगार और पूजा विधि की विस्तृत जानकारी दी गई है:

पूजा विधि

प्रातः स्नान और तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, विशेष रूप से हरे या रंग-बिरंगे कपड़े पहनें।पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल पर एक चौकी बिछाएं और उस पर हरा या लाल रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं।मूर्ति स्थापना: स्वयं द्वारा बनाई गई माता पार्वती, भगवान शिव की मिट्टी की मूर्ति और शिवलिंग को चौकी पर स्थापित करें।

पूजा क्रम:

सबसे पहले विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें।इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव (गौरी-शंकर) की पूजा करें।भोग अर्पित करें, जिसमें मिठाई, फल आदि शामिल हो सकते हैं।

16 शृंगार: माता गौरी को सोलह शृंगार की सामग्री अर्पित करें।व्रत कथा: हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।

माता गौरी का सोलह शृंगार माता पार्वती का सोलह

शृंगार करना इस व्रत में अत्यंत शुभ माना जाता है। शृंगार की प्रक्रिया इस प्रकार है:

सिंदूर: सबसे पहले माता को सिंदूर अर्पित करें, जो सुहाग का प्रतीक है।

काजल: माता की आँखों में काजल लगाएं।

चूड़ियाँ: माता को सुंदर चूड़ियाँ चढ़ाएं, जो सुहागिनों के लिए शुभ मानी जाती हैं।

लाल चुनरी: माता को लाल या रंग-बिरंगी चुनरी ओढ़ाएं।

महावर: माता के चरणों में महावर (अलता) लगाएं।

अन्य शृंगार सामग्री:

बिछिया: माता के चरणों में बिछिया अर्पित करें।

मेहंदी: माता के हाथों में मेहंदी लगाएं या मेहंदी की डिज़ाइन चढ़ाएं।

बिंदिया: माता के मस्तक पर बिंदिया सजाएं।

नथ: नाक में नथनी अर्पित करें।

कर्णफूल (झुमके): माता को कानों में झुमके पहनाएं।

मंगलसूत्र: माता को मंगलसूत्र अर्पित करें।

कमरबंद: माता की कमर पर कमरबंद सजाएं।

पायल: माता के चरणों में पायल चढ़ाएं।

हाथफूल: माता के हाथों में हाथफूल सजाएं।

गजरा: माता के बालों में गजरा लगाएं।

इत्र (परफ्यूम): माता को सुगंधित इत्र अर्पित करें।

महत्व

सुहागिन महिलाओं के लिए: यह व्रत पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है।कुँवारी कन्याओं के लिए: मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है।आध्यात्मिक महत्व: माता पार्वती की तपस्या और भक्ति का अनुसरण करते हुए यह व्रत आत्मिक शुद्धि और समर्पण का प्रतीक है।इस प्रकार, हरतालिका तीज के दिन माता गौरी का सोलह शृंगार और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह व्रत भक्ति, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

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