भीलवाड़ा,हलचल । जब तक अपनी आत्मा को नहीं पहचानेंगे हम धर्म के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ पाएंगे। जिसने अपनी देह से आगे बढ़कर आत्मा को पहचान लिया उसका जीवन सफल हो गया। हम बाहरी सुख सुविधाओं का त्याग कर अपनी आत्मा के चिंतन में लीन होना होगा। अनुष्ठान व मंत्रों की साधना हमे अपने आत्मस्वरूप को जानने ओर समझने में सहायक होते है। ये विचार अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. की सुशिष्या वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में मंगलवार को धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने श्रीपाल मैनासुंदरी चारित्र का वाचन करते हुए कहा कि नवपद तप की आराधना करने से सब दुःख टल जाते हैै। वह श्रावक श्राविका सौभाग्यशाली होते है जिन्हें नवपद आराधना करने का सुअवसर प्राप्त होता है। नवपद की साधना करने से अनंत कर्मो की निर्जरा होती है। उन्होंने कहा कि आत्मा को खोज लिया तो संसार में फिर कुछ और खोजने की जरूरत नहीं रह जाएगी। आत्मा का कल्याण करने का लक्ष्य रखने वालों को निरन्रत धर्म साधना करनी चाहिए। धर्म की आराधना करने वाला अपनी आत्मा को पहचान सकता है। धर्मसभा में स्वर साम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन की प्रस्तुति दी। अनुष्ठान आराधिका महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. की नवरात्र में अखण्ड मौन साधना जारी है। अखण्ड मौन साधना पूर्ण होने पर वह 2 अक्टूबर गुरूवार को साप्ताहिक अनुष्ठान आराधना सम्पन्न होने के बाद सुबह 9.30 महामांगलिक प्रदान करेंगे। इस महामांगलिक का लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक श्रावक-श्राविकाओं को पहुंचने के लिए प्रेरणा दी जा रही है। अतिथियों का स्वागत आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति एवं सुभाषनगर श्रीसंघ द्वारा किया गया। नवरात्र में प्रतिदिन लक्की ड्रॉ भी निकाले जा रहे है। महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में नवपद आयम्बिल ओली आराधना जारी है। नियमित प्रवचन के बाद वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने आयम्बिल विधि सम्पन्न कराई। आयम्बिल की व्यवस्था चातुर्मास समिति द्वारा की गई थी। कई श्रावक श्राविका नवपद आयम्बिल ओली की साधना कर रहे है। महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में 19 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी पर सजोड़ा जाप का आयोजन होगा एवं 26 अक्टूबर को ज्ञानपंचमी पर्व मनाया जाएगा। इ