राजस्थान कांग्रेस में वापसी करने वाले नेताओं को 6 साल तक नहीं मिलेगा टिकट: सुखजिंदर रंधावा
जोधपुर राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को जोधपुर एयरपोर्ट पर एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी से निष्कासित होकर वापस आने वाले नेताओं को अगले 6 साल तक चुनावी टिकट नहीं दिया जाएगा। इस बयान से प्रदेश कांग्रेस में हलचल मच गई है। रंधावा ने यह बात प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने कही, जो उनके साथ मौजूद थे।
'आया राम गया राम' की नीति बंद
मीडिया से बातचीत के दौरान रंधावा ने साफ किया कि कांग्रेस अब उन नेताओं को बर्दाश्त नहीं करेगी जो बार-बार पार्टी छोड़कर वापस आते हैं। उन्होंने कहा, "हमने 'आया राम गया राम' की नीति को पूरी तरह बंद कर दिया है। कांग्रेस का डीएनए मजबूत करेंगे और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
अमीन खान की वापसी पर सवाल
जब मीडिया ने रंधावा से पूछा कि क्या पूर्व मंत्री अमीन खान की तरह अन्य निष्कासित नेताओं को भी पार्टी में वापस लिया जाएगा, तो उन्होंने जवाब दिया, "सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल की सिफारिश पर अमीन खान को वापस लिया गया है।" हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वापसी करने वाले नेताओं को टिकट के लिए 6 साल तक इंतजार करना होगा।
कांग्रेस में वापसी के लिए बेताब नेता
कांग्रेस में वापसी के लिए पूर्व मंत्री अमीन खान, पूर्व विधायक मेवाराम जैन, गोपाल गुर्जर, रामचंद्र सराधना, बलराम यादव, कैलाश मीणा और खिलाड़ी लाल बैरवा जैसे नेता के नाम है. ये सभी नेता कभी अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस के मजबूत चेहरे रहे हैं. इनमें कुछ नेताओं को राजस्थान के 2023 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया है, तो कुछ नेताओं के बड़बोलेपन की वजह से पार्टी से निष्कासित किया गया है.
अमीन खान जहां पांच बार विधायक और कई बार मंत्री रह चुके हैं, तो वहीं मेवाराम जैन लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. अमीन खान को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद बाहर किया गया था, जबकि मेवाराम जैन का अश्लील वीडियो वायरल होने पर उन्हें निकाला गया था. पूर्व सांसद और पूर्व विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा को निर्दलीय चुनाव लड़ने के चलते निकाला था. पूर्व विधायक रहे रामचंद्र सराधना के आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ने के चलते निकाला गया. ऐसे ही गढी से विधायक रहे कैलाश मीणा को कांग्रेस से निकाला गया था. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत के पुत्र बालेंदु सिंह शेखावत निर्दलीय चुनाव मैदान लड़ने से चलते बाहर कर दिया था.
विधानसभा चुनाव के डेढ़ साल के बाद अब कांग्रेस में वापसी की जुगत लगा रहे हैं. प्रदेश नेतृत्व के सामने दंडवत होने के बाद दिल्ली तक जुगाड़ लगा रहे हैं, लेकिन फिलहाल कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप तो स्पष्ट कह रही है कि कोई नेता अगर ‘बिना शर्त’ पार्टी में लौटना चाहता है, तो उसका स्वागत है, बशर्ते वह पार्टी की विचारधारा और हाईकमान के निर्देशों पर चले, लेकिन प्रदेश के प्रभारी उनकी घर वापसी में अड़चन बन गए हैं.
घर वापसी के क्यों नहीं खुल रहे दरवाजे
राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी से निष्कासित नेताओं के प्रति सख्त तेवर अपना रखा है. रंधावा ने साफ कहा है कि कांग्रेस में दोहरी नीति नहीं चलेगी, जो कांग्रेस का संविधान है, उसी के अनुरूप काम होगा. कांग्रेस ने अगर किसी नेता को निलंबित या बर्खास्त किया गया है तो तय समय से पहले वापसी नहीं होगी. इस तरह रंधावा ने कांग्रेस से निष्कासित हुए नेताओं के लिए घर वापसी के दरवाजे बंद कर दिए हैं. हालांकि, प्रदेश संगठन जरूर नरम रुख अपना रहा है और बिना शर्त वापसी की बात कर रहे हैं, लेकिन गेंद शीर्ष नेतृत्व के पाले में डाल रहा है.
डोटासरा की मौजूदगी में बयान
रंधावा ने यह बयान प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की मौजूदगी में दिया, जिससे इस नीति को लेकर पार्टी की गंभीरता और एकजुटता का संदेश गया है। रंधावा ने डोटासरा से कहा, "जिन्हें निष्कासित किया गया है, उन्हें 6 साल तक टिकट के बारे में नहीं सोचना चाहिए।"
कांग्रेस का भविष्य प्लान
रंधावा ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस अपने मूल सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं की मेहनत पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि पार्टी का फोकस संगठन को मजबूत करने और जनता के बीच विश्वास बहाल करने पर है। इस नीति से पार्टी उन नेताओं को बढ़ावा देना चाहती है जो लगातार कांग्रेस के साथ बने रहे हैं।
