साइबर ठगी पर पुलिस का वार : सतर्क रहिए, वरना एक क्लिक में खाली हो सकता है खाता

Update: 2025-09-19 07:10 GMT

 

  बढ़ती साइबर ठगी की घटनाओं को देखते हुए अब राजस्थान पुलिस सामने आई है। साइबर क्राइम शाखा ने लोगों को मैलवेयर, हैकिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है।साइबर क्राइम एसपी शांतनु कुमार सिंह ने बताया कि **ठग अब नकली वेबसाइट, फिशिंग ईमेल और मैलवेयर लिंक के जरिए लोगों को जाल में फंसा रहे हैं।** जैसे ही कोई यूजर इन लिंक पर क्लिक करता है, उसके मोबाइल या लैपटॉप में वायरस घुस जाता है और बैंकिंग ऐप्स, पासवर्ड व व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो जाती है।

कैसे होता है हमला

* व्हाट्सएप, एसएमएस या ईमेल पर संदिग्ध लिंक भेजे जाते हैं।

* लिंक पर क्लिक करते ही डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल हो जाता है।

* उसके बाद ठग बैंकिंग ऐप्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कब्जा कर लेते हैं।

यानी एक छोटी-सी गलती सीधे आपकी मेहनत की कमाई पर भारी पड़ सकती है।

### **पुलिस ने दिए सुरक्षा के टिप्स**

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें। बैंक या सरकारी संस्थान कभी भी मोबाइल पर पासवर्ड या ओटीपी नहीं मांगते।

👉 पुलिस ने विशेष रूप से **ई-स्कैन बॉट रिमूवल ऐप** के उपयोग की सलाह दी है। इस ऐप से मोबाइल या कंप्यूटर को स्कैन कर मैलवेयर, बॉट्स या संदिग्ध फाइलें हटाई जा सकती हैं।

**उपयोग का तरीका:**

1. ऐप इंस्टॉल कर खोलें।

2. ‘फुल स्कैन’ ऑप्शन चुनें।

3. स्कैन पूरा होने पर रिपोर्ट देखें और संदिग्ध फाइलें डिलीट करें।

### **जागरूक बनें – सुरक्षित रहें**

आजकल ठग चतुराई से नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। कभी इनाम का लालच देकर, कभी बैंक अकाउंट अपडेट करने के नाम पर लिंक भेजकर लोगों से पैसे हड़पे जा रहे हैं।

**साइबर विशेषज्ञों का कहना है:**

*"सबसे बड़ा हथियार है सतर्कता। अगर आप क्लिक करने से पहले दो सेकंड सोच लेंगे, तो ठगी से बच सकते हैं।"*


👉 **याद रखिए:**

* संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

* पासवर्ड और ओटीपी किसी से शेयर न करें।

* जरूरत पड़ने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।



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