वृद्धि पुण्य या पाप की नहीं बल्कि धर्म की करनी चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

By :  vijay
Update: 2024-10-01 10:35 GMT

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि हमारे जीवन में हमारे आचरण एवं भावना द्वारा हम पुण्य की वृद्धि भी कर सकते है, पाप की वृद्धि भी कर सकते है और धर्म की वृद्धि भी कर सकते है मगर तीन में से हमे धर्म की वृद्धि ही करनी चाहिए क्योकि इससे आत्मा की फ्यूचर शुद्ध एवं प्रसन्न बनती है। धर्मक्षेत्र धर्म के सिद्धांत अनुसार चलता है। धर्मक्षेत्र संसार के नियम या पर्सनल विचार के अनुसार नहीं चलता । धर्म अरिहंत की आज्ञा के अनुसार ही चलता है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 9 अक्टूबर से नवपद जी की आयंबिल ओली सामूहिक रूप से मनाई जाएगी। जिसमें समग्र जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज को आने का आव्हान किया।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

Similar News