अनीति का धन संतानों की बुद्धि को बिगाड़ता है : पुष्कर दास महाराज

Update: 2025-06-09 12:18 GMT
अनीति का धन संतानों की बुद्धि को बिगाड़ता है : पुष्कर दास महाराज
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उदयपुर । मंशापूर्ण गजानंद मंदिर परिसर, महाराणा प्रताप कॉलोनी,गवरी चौक, सेक्टर 13 में पुष्कर दास महाराज द्वारा संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कहा बिना सत्संग विवेक नहीं होता विवेक के बिना सत्य असत्य का ज्ञान नहीं होता। कथा सत्संग इंसान को सुधारने के लिए है । जो कथा में डुबकी लगाएगा वो भव से पार हो जाएगा। कथा में 3 घंटे के लिए मन एकाग्र होकर रहता हे द्य जो कथा को ध्यान से सुनेगा उसका मन रूपी हाथी दुनिया से ऊपर उठेगा। सत्संग एक सरोवर है। भागवत पढ़ने का बहुत पुण्य है । आगे सोनक जी सूत जी से कहते हे आपका ज्ञान करोड़ों सूर्य के प्रकाश के समान है। आनंद का पल ही ईश्वर का रूप है। भागवत में कलयुग का स्थान चार जगह बताया है स्वर्ण (सोना) में,जुआ में,शराब में,बाजारू स्त्री में । शास्त्रों में सप्त सरोवर, संगीत के 7 स्वर, इसलिए भागवत की कथा 7 दिवसीय रखी जाती है। राजा परीक्षित के पास भी 7 दिन की अवधि थी। परीक्षित को कथा में रस इसलिए लगा क्यूं कि राजा की मौत निकट थी 7 वे दिन । जिसकी मौत निकट हो उसका मन कथा में ओर भजन में लगेगा। राजा ने अनीति के धन का मुकुट पहना इसलिए उसकी बुद्धि बिगड़ी और ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाला और ऋषि के बेटे को जब पता चला तो उसने राजा को श्राप दिया । आगे मनु शतरूपा प्रसंग का वर्णन किया। उत्तानपाद की दो रानी होती है सुरुचि और सुनीति । सुनीति ने अपने बेटे ध्रुव को अच्छे संस्कार दिए तभी बालक 5 वर्ष की उम्र में भक्ति करने को चलता है। ध्रुव को रास्ते में नारद जी मिलते हैं और कहते हैं बेटा तेरी उम्र तो अभी खेलने की हे तू अभी से भक्ति की ओर क्यूं चला परन्तु बालक कहता हे भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती । बालक की इस बात से नारद जी प्रसन्न होते हैं ओर कहते तुझे प्रभु अवश्य मिलेंगे द्य नारद जी बालक को मंत्र दीक्षा देते हे ओम नमो भगवते वासुदेवाय और इसी मंत्र को ध्रुव जी जाप करते हे भगवान विष्णु बालक की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें जंगल में दर्शन देते है। सोमवार को कथा में अतुल शर्मा, मनोहर सिंह, हिम्मत सिंह, अभिजीत शर्मा, राधा चरण ठाकुर,ठाकुर दास आदि उपस्थित रहे।

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