सत्संग से दुर्जन भी सज्जन बन जाता है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज
उदयपुर । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि शनिवार को आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा मनुष्य के जीवन में संगति का बड़ा महत्व है जैसे नदी का स्वच्छ और मीठा जल जब समुद्र के साथ मिलता है तो वह पानी भी खारा और मलिन हो जाता है। ठीक ऐसे ही मनुष्य के जीवन में संगति और कुसंगति का बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है।जो जैसी संगत में रहेगा,उसका जीवन उसी का प्रतिबिम्ब बन जायेगा। दुर्जन व्यक्ति भी सज्जन का संग करने के कारण सज्जन बन जाता है। और सज्जन व्यक्ति भी दुर्जन की संगति करने के कारण दुर्जन बन जाता है। कदाचित् सज्जन व्यक्ति दुर्जन की संगति से दुर्जन न भी बने परंतु उसे उसकी संगति के कारण बदनाम अवश्य होना पड़ता है। कोई व्यक्ति शराब की बोतल में अथवा शराब की दुकान पर दूध या पानी भी पी रहा है तो दुनिया उसके बाह्य आचरण से यही रहेगी कि यह शराब पी रहा है। अतः: अपने जीवन को सुरक्षित और सुसंस्कारी बनाने के लिए अपनी संगति सुधारनी होगी। सत्संग के प्रभाव से हम न सिर्फ गलत कार्यों से बच जाते हैं बल्कि अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित भी होते हैं। इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सत्संग साधु पुरुषों की है। साधु पुरुषों के वचनों को भी प्रवचन कहा जाता है। साधु पुरुष शाश्वत गुण लक्ष्मी के धारक हैं। उनकी संगति से हमारी आत्मा के भीतर के शाश्वत गुणों का विकास होता है। संत तुलसीदास जी कहते हैं कि जीवन में आधी घड़ी से भी अल्प समय का सत्संग अपने करोड़ों जन्मों के पाप का नाश करता है।
श्रीसंघ के अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि आराधना भवन में रविवार प्रात: 9.15 बजे पुणिया श्रावक की आदर्श सामायिक का अनूठा आयोजन होगा। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, जसवंत सिंह सुराणा, भोपाल सिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।