जिस व्यक्ति ने संयम धारण कर लिया, उसका जीवन सार्थक एवं सफल है - राष्ट्रसंत पुलक सागर

Update: 2025-09-02 12:14 GMT

 उदयपुर   । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है । इसी श्रृंखला में रविवार को छठे दिन उत्तम संयम धर्म दिवस मनाया गया । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर के सानिध्य में टाउन हॉल में पाप नाशनम शिविर के अंतर्गत 700 शिविरार्थियों ने एक जैसे वस्त्र पहन कर शिविर में भाग लिया, और संगीतमय पूजा एवं धर्म आराधना की । चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फांदोत ने बताया कि पहली बार आचार्य पुलक सागर महाराज के सानिध्य में दिगम्बर समाज के सभी पंथों का पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है, कार्यक्रम की श्रृंखला में प्रात: 5.30 बजे प्राणायाम, प्रातः: 7.30 बजे अभिषेक हुआ, उसके बाद शांतिधारा एवं पूजन सम्पन्न हुई । प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री का विशेष प्रवचन उत्तम संयम धर्म दिवस पर हुआ, जिसमें आचार्यश्री ने कहा कि संयम आत्म उत्थान का प्रथम चरण है। संयम में ही सुख निहित है। संयम विकल्पों के अभाग का नाम है। जीवन में जब संकल्प शक्ति बलवती होती है, तभी विकल्प मिटते हैं। लोभ, मान, क्रोध, मोह के त्याग तथा सत्य की प्राप्ति के बाद सत्य की सुरक्षा भी अपरिहार्य है। सत्य को पाना ही पर्याप्त नहीं है उसकी सुरक्षा भी आवश्यक है और सत्य की सुरक्षा संयम के बिना हो नहीं सकती। सत्य वह हीरा है जिसे संयम की तिजोरी में ही सुरक्षित रखा जा सकता है। संयम की महिमा जगत में वही जानता है जिसने संयम को जीवन में व्यावहारिक रूप से अपनाया है। पर्युषण महापर्व दशलक्षण धर्म के अन्तर्गत उत्तम संयम धर्म को आचरण में परिणत करने के सहज, सुगम और सरल उपायों का शिक्षण देता है। संयम को साधना बनाने के लिए नियमित और निरन्तर अभ्यास आवश्यक है। पानी की तरल बूँद की तरह साधना और संयम की नियमितता अपनाना चाहिए। एक बूँद जिससे बढ़कर कोई कोमल नहीं हो सकता लेकिन लगातार गिरते रहने के कारण चट्टान को बालू में परिवर्तित कर देती है इसी प्रकार संयम और साधना की बूंदे कर्म बंधन की चट्टान को पिघला कर रख देंगी। चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी एवं प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि प्रवचन के बाद 10.30 बजे सिंधी धर्मशाला में सभी साधकों का भोजन, दोपहर 12.30 बजे सामायिक मंत्र जाप, दोपहर 2 बजे धार्मिक प्रशिक्षण, शंका समाधान, तत्व चर्चा हुई । सायं 7.30 बजे गुरु भक्ति एवं श्रीजी की महाआरती हुई । उसके बाद प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुतियां हुई । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, सेठ शांतिलाल नागदा सहित सम्पूर्ण उदयपुर संभाग से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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