थोडा-सा प्रमाद बडे-बडे साधकों को भी दुर्गति के गर्त में धकेल सकता है : जैनाचार्य महाराज
उदयपुर,। मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है। संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि गुरुवार को आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहामनुष्य जन्म की प्रत्येक पल अति कीमती है। जो पुण्य की कमाई देवता अपने असंख्य वर्षों के आयुष्य में नहीं कर सकते है वह पुण्य की कमाई मनुष्य मात्र अल्प समय की धर्माराधना से कर सकते है। अत: प्राप्त हुए मनुष्य भव के आयुष्य की एक पल भी प्रमादवश होकर व्यर्थ प्रसार करने जैसी नहीं है। जीवन भर के आयुष्य में जिस क्षण हमारा आगामी जन्म को आयुष्य कर्म का बंध होता है उस समय हम कर्म जिस भाव में हो उसके अनुसार अपने आगामी जन्म के आयुष्य कर्म का बंध होता है।, यदि जीवात्मा दान, दया, परोपकार, देव-गुरु भक्ति, नम्रता, सरलता, क्षमाभाव,संतोष आदि के शुभ विचार से भावित हो तब यदि आगामी जन्म के आयुष्य कर्म का बंध हो तो वह आत्मा सद्गति को प्राप्त करती है और जीवात्मा क्रोधादि कषाय, जीवहिंसा, विषयाभिलाषा आदि के अशुभ विचारों से भावित हो तब यदि आयुष्य कर्म का बंध हो तो आत्मा दुर्गति प्राप्त करती है। परंतु आगामी जन्म के आयुष्य कर्म के बंध की घडिय़ाँ कौन-सी होगी वह अनिश्चित है। अत: हमारे लिए प्रतिपल खूब महत्त्वपूर्ण है। जैसे वाहन चालक को 500 की.मी. की सफर में एक पल की निद्रा भी प्राणघातक होती है, उसे पूरे सफर में जागृत रहना जरूरी होता है। वैसे ही हमारे जीवन की प्रतिपल खूब महत्त्वपूर्ण है। थोडा-सा प्रमाद बडे-बडे साधकों को भी दुर्गति के गर्त में धकेल सकता है। अनंत काल को भव भ्रमण की यात्रा में प्राप्त हुआ यह मनुष्य जन्म एक पडाव समान है। इस जन्म के द्वारा हम धर्म के माध्यम से भव भ्रमण का अंत भी कर सकते है और पापाचरण के माध्यम से भवभ्रमण बढ़ाकर अत्यंत दु:खी भी हो सकते है, पसंदगी अपनी अपनी।
जावरिया ने बताया कि 3 अगस्त को प्रात: 9.15 बजे गिरनार तीर्थ की भावयात्रा का संगीतमय भव्य कार्यक्रम होगा। जिसमें संवेदना हेतु संकेत भाई- अमदाबाद एवं संगीतकार नागेश्वर भाई रंगारंग प्रस्तुति देंगे। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, जसवंत सिंह सुराणा, भोपालसिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।