उदयपुर, । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है। श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि आराधना भवन में पर्युषण महापर्व के तहत आचार्य संघ के सानिध्य में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासना व शाम को प्रतिक्रमण आदि की तप आराधना कर रहे है।
जावरिया ने बताया कि आराधना भवन में उदयपुर में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की आराधना उत्साह और उल्लास के साथ चल रही है। वार्षिक कर्तव्य को बताते हुए जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा कि चलने के लिए एक पैर पर्याप्त नहीं है। दोनों पैरों से चलना आसान होता है वैसे ही आत्मिक विकास में आगे बढने के लिए परमात्मा की प्रतिमा और परमात्मा ने बताए आगम ग्रंथ दोनों की भक्ति जरुरी है। साक्षात् परमात्मा के दर्शन और परमात्मा वचन श्रवण करने का हमारा सद्भाग्य नहीं है। इस विषय काल में साक्षात् परमात्मा के अभाव में उनकी प्रतिमा और उनके वचनों का बोध देने वाले आगम सूत्र हम सभी के लिए प्रबल आलंबन है। संसार के सभी क्षेत्र में हो रहे पापाचरण से अपनी आत्मा की सुरक्षा करने के लिए जितनी आवश्यकता मंदिरो की है उतनी ही आवश्यकता आगम ग्रंथ आदि श्रुतज्ञान के रक्षण और संवर्धन की है।. परमात्मा के वचनों को भव्य जीवों तक पहुँचाने के लिए पूर्व के आचार्य, साधु भगवंत और श्रावकों ने अपूर्व योगदान दिया है। ज्ञानी गुरु भगवंतों ने नए नए ग्रंथों की रचनाएँ की है तो साथ ही समर्पित श्रावकों ने हजारों ज्ञान भण्डारों का निर्माण करके अपनी लक्ष्मी को सार्थक की है। इतनों वर्षों के बाद भी हम तक परमात्मा के वचन पहुँचे है उसके पीछे कई पुण्यात्माओं का बलिदान छुपा हुआ है। वर्तमान में जितना खर्च स्कूल-कोलेज की पढाई के पीछे खर्चा जाता है, उसका कुछ अंश धार्मिक शिक्षण के पीछे खर्चा जाय तो संघ और समाज की दशा का परिवर्तन हुए बिना न रहे।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि प्रवचन के बाद जैनाचार्यश्री रत्नसेनसूरीश्वर द्वारा आलिखित आओ! प्राकृत सीखें पुस्तक का भव्य विमोचन डाँ शैलन्द्र हिरण, गजेन्द्रभाई मेहता, संजय पगारिया, ओमप्रकाश पोरवाल एवं बी. एच. बाफना ने किया। मंच संचालक जयदीप भाई-हर्षदर्शी ने पुस्तक और जैनाचार्य श्री की साहित्य यात्रा का कविता के माध्यम से परिचय दिया। जावरिया ने बताया कि 23 अगस्त से प्रात: 8 बजे कल्पसूत्र के प्रवचन का शुभारंभ होगा।