धर्म की प्राप्ति नहीं होने के कारण ही जीव अनादिकाल से संसार में दु:खी : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर, । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता , जिनरसा , जिनदर्शिता व जिनमुद्रा महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि सोमवार को इस अवसर पर भगवान नेमिनाथ के जन्म से पूर्व उनकी माता को आये 14 सपनों को लघु नाटिका के माध्मय से बालिकाओं ने संगीत के साथ दी गई प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। भगवान नेमिनाथ की माता को आरती, घोड़े, माला, चन्द्रमा, दैदिप्यमान सूर्य, मंदिर पर फहराती ध्वजा,पद्म सरोवर, कलश, क्षीरसमुद्र, देव विमान,रत्नों की बारीश एवं अग्नि सहित आये 14 सपनों की जानकारी दी। इस अवसर पर संगीतमय भजनों की प्रसतुति से वहां उपस्थित श्रावक-श्राविकायें भाव-विभोर हो गयी। आयड़ तीर्थ में 29 जुलाई को धूमधाम से नेमिनाथ जन्म कल्याण महोत्सव मनाया जाएगा।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सोमवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि धर्म की प्राप्ति नहीं होने के कारण ही यह जीव अनादिकाल से संसार में दु:खी हो रहा है। हरिभद्रसूरिजी महाराज ने हमें इस दु:खमय संसार से बाहर निकालने के लिए तीन उपाय बताए है। जिसमें उन्होंने हमे बहुमान पूर्वक साधु भगवंतों की भक्ति करनी चाहिए। जगत के सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए एवं संसार के पदार्थ में ममत्व मान का त्याग करना चाहिए। इन तीन उपायों को जो धारण करता है वह धीरे-धीरे सभी प्रकार के अकार्यों से बचते हुए, सदाचार में स्थिर होता है और आगे बढ़ कर वह सर्वविरति धर्म तक पहुँच जाता है। इन तीन उपायों को आत्मसात् करने के लिए सबसे पहले अकार्यों से बचने की भावना होनी चाहिए, आत्महित करने की तमन्ना होनी चाहिए तथा सदाचारों को अपनाने की तत्परता होनी चाहिए। इनके बिना जीवन में इन तीन उपायों पर अमल कर पाना संभव नहीं है। धर्म की रुचि जागे, धर्म पाने की तमन्ना पैदा हो तभी यह संभव हो सकता है। जैसे आप कोई चीज खरीदने जाते है तो जब तक आपको पसंद न आये तब तक आप उसे खरीदने की इच्छा नहीं होती।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, चतर सिंह पामेच, सतीश कच्छारा, प्रकाश नागोरी, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, गोवर्धन सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।