उदयपुर पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ सुरेंद्र छंगाणी ने जन्माष्टमी के अवसर पर आमजन को विशेष कर पशुपालकों से आह्वान किया कि हिंदू धर्म में गाय को समृद्धि पोषण और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है यह श्रद्धा भगवान कृष्ण की कथाओं में गहराई से निहित है गोविंदा या गोपाल के नाम का अर्थ ही गायों का रक्षक होता है कृष्ण का इन कोमल प्राणियों के प्रति प्रेम और देखभाल मनुष्य और पशुओं के बीच के पवित्र बंधन को उजागर करती है
डॉ छंगाणी ने बताया कि कृष्ण की बाल अवस्था में उनकी ग्वालो के साथ शरारते गोपियों के घर से माखन चुराना और अपने प्रिय गायों के साथ खेलने की कहानियों से भरी है यहकहानी लोक कथाओं से कहीं बढ़कर है यह पशुधन के करुणा देखभाल और हमारी संस्कृति के महत्व को प्रदर्शित करती है गायों के प्रति कृष्ण का गहरा स्नेह और उनके संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका हमें इन पशुओं के साथ प्रेम करुणा एवं सम्मान के साथ व्यवहार करने की याद दिलाती है
डॉ छंगाणी ने आह्वान किया कि जन्माष्टमी मनाते हुए हम कृष्ण की दिव्य लीलाओं का स्मरण तो करें ही साथ ही उन गायों के प्रति भी सराहना करें जिनका हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है उनके स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करके हम विरासत का सम्मान करें ताकि भविष्य में इस योगदान से शुद्ध पोस्टिक दूध हमारे आध्यात्मिक और दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बना रहे
डॉ छंगाणी ने पशु गणना 2019 की जानकारी देते हुए बताया कि देश में कुल 19 .26 करोड़ गोवंश का पशुधन है जबकि राज्य में देश का 7.24 अर्थात 1. 40 करोड़ गोवंश के पशु है उदयपुर जिले में गोवंश पशुओं की संख्या 8. 32 लाख है