प्रेम ही वह भाषा है, जिसे पूरा विश्व समझता है - पुलक सागर

उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। रविवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के सातवें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। रविवार को नगर निगम प्रांगण में सांसद मन्नालाल रावत ने आचार्य पुलक सागर महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि रविवार को कार्यक्रम के अतिथि लोकसभा सांसद मन्नालाल रावत, जीतो अध्यक्ष यशवंत आंचलिया, एसेंट केरियर प्वाइंट के निदेशक मनोज बिसारती, सेंट एंथोनी के विलियम सर, प्रिंसिपल विट्टी स्कूल बीजों कुरियन, पूर्व महासभा अध्यक्ष महावीर बोहरा थे । कार्यक्रम का मंगलाचरण भक्ति महिला मंडल, आयड़, पहाड़ा और पाद प्रक्षालन श्रीपाल कड़वावत परिवार ने किया ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के आठवेकं
दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा बहुत सारी भाषाएं है हमारे देश में, 18 भाषाएं बोली जाती है । जो संस्कृति हिंदुस्तान में है वो विश्व में किसी के पास नहीं हुआ करती है । एक भाषा ऐसी है, जिसे सारी दुनिया बोलना भी जानती है, एक ऐसी भाषा जो आंखों से समझी जाती है, जिसे जानवर भी समझता है इंसान भी समझता है, वो भाषा है प्रेम की भाषा । मांगने से सब कुछ मिल जाता है, लेकिन प्रेम भी मिलता । प्रेम मांगने से नहीं मिलता, प्रेम जितना लुटाओगे, बदले में उतना ही लौट कर आएगा । प्रेम को व्यक्त करना सीखो । दुनियां में महामंत्र 2 बड़े है एक णमोकार मंत्र और एक गायत्री मंत्र । अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण देश में नमोकार मंत्र जाप का कार्यक्रम रखा, उसके लिए वो आशीर्वाद के पात्र है, मैं तो यह कहूंगा कि साल में 1 बार नमोकार मंत्र दिवस होना चाहिए, इसे तुरंत लागू करें । बहुत सारी भाषाएं है हमारे देश में, 18 भाषाएं बोली जाती है । जो संस्कृति हिंदुस्तान में है वो विश्व में किसी के पास नहीं हुआ करती है । एक भाषा ऐसी है, जिसे सारी दुनिया बोलना भी जानती है, एक ऐसी भाषा जो आंखों से समझी जाती है, जिसे जानवर भी समझता है इंसान भी समझता है, वो भाषा है प्रेम की भाषा । मांगने से सब कुछ मिल जाता है, लेकिन प्रेम भी मिलता । प्रेम मांगने से नहीं मिलता, प्रेम जितना लुटाओगे, बदले में उतना ही लौट कर आएगा । प्रेम को व्यक्त करना सीखो । दुनियां में महामंत्र 2 बड़े है एक णमोकार मंत्र और एक गायत्री मंत्र । अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण देश में नमोकार मंत्र जाप का कार्यक्रम रखा, उसके लिए वो आशीर्वाद के पात्र है, मैं तो यह कहूंगा कि साल में 1 बार नमोकार मंत्र दिवस होना चाहिए, इसे तुरंत लागू करें । जीवन में सबसे बड़ा मंत्र प्रेम का मंत्र होता है, जिसमें हृदय में प्रेम होता है, उसका दिल देवालय हो जाता है ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि आचार्य ने कहा कि प्रेम का स्पर्श वो स्पर्श है जिसे अंधा भी समझ जाता है । प्रेम होगा तो बूढों में भी जीने की चाहत होती है, और प्रेम ना हो तो जवानी में भी लोग आत्महत्या करने की सोचते है । पौधे को पानी ना दो तो पौधे सुख जाते है । प्रेम के पौधे को हरा भरा रखना है तो समझदारी का जल डालते रहना, वह कभी नहीं सूखेगा । प्रेम वह है जो मनुष्य के दिल को दिल से जोड़ती है । प्रेम अमृत है, वासना जहर है । प्यार ही परमात्मा है, प्रार्थना ही परमात्मा है, वात्सल्य ही परमात्मा है । मीरा और कृष्ण का प्रेम इतिहास है । राधा के पास तो जीवंत कृष्ण थे, लेकिन मीरा ने एक मूर्ति से इतना प्रेम किया कि वह इतिहास बन जाया करता है। और मीरा आगे चलकर भक्त शिरोमणि मीरा बाई बन गई । निस्वार्थ प्रेम में वो ताकत है, जो किसी में नहीं । अपनों से बड़ों से प्रार्थना, पत्नी से प्रेम और बच्चों से वात्सल्य के भाव रखे । गाय अपने बछड़े से वात्सल्य करती है वैसे बच्चों से वात्सल्य होना चाहिए । गौमाता ऐसी है जो जिंदगी घर दूध पिलाती है । गाय जब दूध पिलाती है तो नि:स्वार्थ रूप से पिलाती है । इसलिए भगवान महावीर ने कहा कि वात्सल्य गाय और बछड़े जैसा होना चाहिए । घरों में दुश्मनी के संबंध मत बनाओ, प्रेम के संबंध बनाओ । कुत्ता अंजान आदमी को देखकर भोंकता है, और आदमी जब भी भोंकता है अपनों को देख कर भोंकता है । ऐसे आदमी से तो कुत्ता बेहतर है । पशु से प्रेम कर लेते है, लेकिन अपने घर के लोगों से इंसान प्रेम नहीं कर पा रहा । जिंदगी घास की नोक पर रखी ओस की बूंद के समान है, जिसका कोई भरोसा नहीं है । सामूहिक भजन और सामूहिक भोजन की परंपराएं लुप्त होती जा रही है । परिवार के महीने में कम से कम एक बार मिलकर सामूहिक भोजन अवश्य करें, चाहे घर 2 भाईयों के घर अलग अलग हो ।
इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।