राष्ट्रीय लोक अदालत 13 जुलाई को: सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू
उदयपुर। सदस्य सचिव राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के तत्वावधान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष के निर्देशन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 13 जुलाई को किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव कुलदीप शर्मा ने बताया कि आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिकाधिक राजीनामा योग्य प्रकरणों के निस्तारण हेतु आवश्यक निर्देश दिये गए है। राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए उदयपुर मुख्यालय के न्यायिक अधिकारीगण की बैठक आयोजित हुई। बैठक में अधिकाधिक प्रकरणों को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखने एवं निस्तारित करने के निर्देश प्रदान किये गए। एडीजे शर्मा ने बताया कि यदि पक्षकार प्रकरण को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाना चाहते है तो जिस न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है उस न्यायालय में जाकर पीठासीन अधिकारी से निवेदन कर सकते है ।
लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन के तहत धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम, धन वसूली, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित (अशमनीय के अलावा प्रकरण), भरण-पोषण से संबंधित प्रकरण, राजस्व विवाद, पैमाइश एवं डिवीजन ऑफ होल्डिंग सहित, सिविल विवाद, सर्विस मैटर्स, उपभोक्ता विवाद, अन्य राजीनामा योग्य विवाद (जो अन्य अधिकरणों, आयोगों, मंचों, आथॉरिटी व प्राधिकारियों के क्षेत्राधिकार से संबंधित है का निस्तारण किया जाएगा।
इसी प्रकार न्यायालय में लंबित प्रकरण के तहत राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (एन.आई.एक्ट), धन वसूली, एम.ए.सी.टी. के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद एवं कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण, सभी प्रकार के सर्विस मैटर्स (पदोन्नति एवं वरिष्ठता विवाद के मामलों के अलावा), सभी प्रकार के राजस्व मामले, पैमाइश एवं डिविजन ऑफ हौल्डिंग सहित, वाणिज्यिक विवाद, बैंक के विवाद, गैर सरकारी शिक्षण संस्थान के विवाद, सहकारिता संबधी विवाद, स्थानीय निकाय (विकास प्राधिकरण, नगर निगम, आदि) के विवाद, रियल स्टेट सम्बधी विवाद, रेलवे क्लेम्स संबधी विवाद, आयकर संबधी विवाद, अन्य कर संबधी विवाद, उपभोक्ता एवं विक्रेता, सेवा प्रदाता के मध्य के विवाद, सिविल मामले (किरायेदारी, बंटवारा, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा, घोषणा, क्षतिपूर्ति एवं विनिर्दिष्ट पालना के दावे), अन्रू राजीनामा योग्य ऐसे मामले जो अन्य अधिकरणों, आयोगों, मंचों, आथॉरिटी, प्राधिकारियों के समक्ष लंबित प्रकरण का आपसी राजीनामे से निस्तारण किया जाएगा।