श्री कल्पसूत्र इक्कीस बार जो सुनता है वह आठ भव में मोक्ष में जाता है : साध्वी जयदर्शिता
उदयपुर,। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में कलापूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता , जिनरसा , जिनदर्शिता व जिनमुद्रा महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व के चौथे दिन सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। बाहर से दर्शनार्थियों के आने का क्रम निरंतर बना हुआ है, वहीं त्याग-तपस्याओं की लड़ी जारी है। इस दौरान अष्टप्रकारी पूजा व ज्ञाप पूजा के साथ सभी साध्वियों को कल्पसूत्र शास्त्र बोहराया गया।
नाहर ने बताया कि साध्वी जयदर्शिता आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। रविवार 24 अगस्त को सुबह 9.30 बजे आयड़ तीर्थ में कल्पसूत्र वाचन के तहत 14 स्वप्न दर्शन की बोलियां लगेगी।
शनिवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता ने पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। आज चौथे दिन के प्रवचन में कहां श्री कल्पसूत्र सकल शास्त्रों में शिरोमणी है। साल में सिर्फ पांच दिन और वह भी संवत्सरी पांचवा दिन बने इस तरीके से ही इस सूत्र का श्रवण अधिकाधिक गुरु के मुख से श्रवण करत सकते है। इक्कीस बार साधंत कल्पसूत्र सुनने वाली भव्यात्मा आठ भव में मोक्ष में जाती है। आचार्य ने भावुक स्वर से उपदेश भी दिया कि आपके पुत्रों को सच्चा धर्म, सच्चा पुत्र और सच्चा संस्कारी देखना चाहते हो तो 100 दिन तक साधु-गुरु के संग में रखो, काम हो जाएगा। भौतिकता के अतिरिक को रोकने के लिए इतना काफी है। इस अवसर पर कल्पसूत्र की अष्टप्रकारी पूजा, ज्ञाप पूजा के साथ गुरुदेव का कल्पसूत्र बहेराने की विधि हुई। आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
साध्वी जयदर्शिता ने कहा अष्टाह्निका पर्व का चौथे दिन कहां कि भारत भर के संघों मे महात्मा लोग बिराजमान हो वह सब संघों में आज सुबह से कल्पसूत्र का श्रवण शुरू हुआ। कल्पसूत्र 45 आगम ग्रंथों मे महान ग्रंथ है यह ग्रंथ की वांचना आज से चार दिन तक सुबह - शाम गूरूभगवंत के मुख से सुननेवालों को परम सौभाग्य मिलता है वह आत्मा धन्य है।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, अंकुर मुर्डिया, पिन्टू चौधरी, हर्ष खाब्या, गजेन्द्र खाब्या, नरेन्द्र सिरोया, संजय खाब्या, राजू पंजाबी, रमेश मारू, सुनील पारख, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागौरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भंडारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।
