छोटी सोच और पांव की मोच आगे नहीं बढ़ने देती है : साध्वी सुप्रभा

उदयपुर। रूप और रुपया जीवन को बर्बाद कर देते हैं।। पांव की मोच और छोटी सोच जीवन में आगे नहीं बढ़ने देती है। रूप को नहीं गुणों को महत्व देना चाहिए। चित्तौड़ की महारानी पद्मावती के उच्च आदर्श से हमें सीख लेनी चाहिए। उन्होंने अपने नारी धर्म की रक्षा के लिए सैकड़ो महिलाओं के साथ जोहर किया। वर्तमान युवा पीढ़ी को महानायकों के जीवन से सीख और प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। महावीर स्वामी के आदर्श को जीवन में उतारें। सभी को अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए माता-पिता हमेशा अपने संतान का कल्याण चाहते हैं। संकल्प करें कि हमेशा अन्याय का विरोध करें और न्याय के पक्षधर बनें। श्री वर्धमान जैन श्रावक समिति हिरण मगरी सेक्टर 3 में चल रहे चातुर्मास में हुई धर्म सभा में यह बात साध्वी सुप्रभा जी ने सोमवार को कही। सेक्टर तीन स्थित समाज भवन में सद्गुरु माता यश कंवरजी की शिष्याएं साध्वी सुप्रभाजी, साध्वी मणिप्रभा जी, साध्वी सुमनप्रभा जी, साध्वी रुचिका जी चातुर्मास तपस्या में लीन हैं। प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में समाज जन धर्म सभा में सत्संग का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। चातुर्मास संयोजक श्यामलाल झगड़ावत ने बताया कि सेक्टर 4 स्थित विद्या निकेतन स्कूल में 30 जुलाई को सुबह 7 बजे से भव्य पारणा दिवस एवं बहुमान समारोह होगा। इस दौरान तेले तप, अढ़ाई तप करने वाले 500 से अधिक श्रावक श्राविकाओं का बहुमान किया जाएगा। मधु झगड़ावत वह तनिष्क गांधी आदि ने सोमवार को 11 दिन की तपस्या पूरी कर अगले दिन की तपस्या में प्रवेश किया। यह तपस्वी निराहार रहकर तप कर रहे हैं। साध्वी मणिप्रभा जी ने धर्म सभा में कहा कि संस्कार जीवन का आधार है। संस्कार जितने अधिक मजबूत होंगे जीवन भी उतना ही अधिक उच्च मूल्यों से युक्त होगा। संस्कारों के अभाव में जीवन का कोई अर्थ नहीं होता है। धर्म का आश्रय ले। जीव मात्र के प्रति दया, सत्य और अहिंसा जैन धर्म के आधार स्तंभ हैं। जैन धर्म सभी से प्रेम व भाईचारा रखने की शिक्षा देता है। सात्विक जीवन के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।