दुनिया में सबसे शक्तिशाली है उम्मीद का दीया, जो कभी नहीं बुझना चाहिए : राष्ट्रसंत पुलक सागर

उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। मंगलवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 17वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि मंगलवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य वन संरक्षक जोधपुर आरके जैन, राजीव जैन संपादक राजस्थान, आयुर्वेदाचार्य शोभालाल औदिच्य, लक्ष्मीलाल बोहरा, बबीता जैन, लीला कुरडिया, डिम्पल डागरिया आदि उपस्थित थे ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 17वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा मगध के राजा श्रेणिक ने भगवान महावीर से प्रश्न पूछा कि भगवान दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली कौन होता है, सबसे ज्यादा मजबूर कौन होता है, भगवान ने कहा कि सबसे ज्यादा मजबूत पत्थर की चट्टान हुआ करती है । राजा ने पूछा चट्टान से भी मजबूत कोई चीज है क्या? महावीर ने कहा अवश्य है लोहा चट्टान से भी मजबूत होता है, जो चट्टान के भी टुकड़े टुकड़े कर देता है । राजा ने पूछा कि उससे भी मजबूत कुछ है क्या, महावीर ने कहा कि अवश्य है आग, जो लोग के भीतर प्रवेश कर जाती है, इस पर राजा ने कहा कि और कुछ इससे भी ज्यादा मजबूत होता है क्या? महावीर ने कहा है पानी, जो आग को भी बुझा देता है । राजा के कहा अंतिम एक बार और बता दो कि पानी से ज्यादा मजबूत भी कुछ होता है क्या ? महावीर ने कहा अवश्य और वो होता है आदमी का संकल्प । आदमी के संकल्प में वो ताकत होती कि वो पाताल से भी पानी को बाहर निकाल सकता है । आदमी के संकल्प से शक्तिशाली कोई वस्तु नहीं हुआ करती है । संकल्प करो सफलता तुम्हारा इंतजार कर रही है । आदमी तकदीर बदल सकता है, तस्वीर बदल सकता है, यदि वह संकल्प कर ले तो । संकल्प में वह ताकत है कि वह अंतरिक्ष की यात्रा कर सकता है, समुद्र के भीतर जाकर खोज कर सकता है । अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत करो ।
आदमी कितना नाउम्मीद हो गया है, समाचार पत्रों में आए दिन हम देखते है ऐसी घटनाएं, सहनशक्ति बची नहीं है । गम इस बात का नहीं हैं कि आदमी मर जाता है, ग़म इस बात का है कि आदमी जिंदा होकर भी जिंदा नहीं रह पाता । आज का आदमी मुर्दे की तरह जी रहा है । मुरझाया हुआ थका थका सा चेहरा लेकर जी रहे हो । कभी प्रात:काल की वेला को सुबह छत पर जाकर देखना, सूर्योदय होता है, पक्षी चहचहाया करते है । जानवर आनंदित होते है, हवा की लहरें हर तरफ रहती है, फूल खिल रहे है । हर तरफ एक उत्साह का वातावरण होता है । हमें प्रकृति से जीने का तरीका सीखना चाहिए । आत्महत्या करना कोई बड़ा काम नहीं है, लेकिन जीवन मिलना बहुत बड़ी बात है । मरना एक छोटी से घटना है, और जीना जीवन भर की घटना है ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 9 अगस्त को रक्षाबंधन एवं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।