जीवन को कषाय मुक्त बनाने के लिए जिनवाणी श्रवण कारक उपाय : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर, हलचल । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि बाहर से दर्शनार्थियों के आने का क्रम निरंतर बना हुआ है, वहीं त्याग-तपस्याओं की लड़ी जारी है। रक्षा बंधन पर्व पर प्रवचन सभागार में विविध आयोजन हुए।
आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की वाणी सुनकर उनके जैसे बनने के भाव जागृत होते है। हमेशा त्यागीवृति व शुभभावों के साथ भगवान की वाणी सुननी चाहिए। जन्म लेने वाले प्राणी का मरना निश्चित है मौत कब आएगी ये पता नहीं है। जन्म आगे-पीेछे कर सकते हो लेकिन मरण को नहीं रोक सकते। इसलिए मृत्यु से पहले कुछ ऐसा कर जाओ कि आपका गुणस्थान सुधर जाए। आचार्यश्री ने कहा कि जन्म-मरण के मध्य गुणस्थान ही सेतु है। आपके गुणस्थान ही आपका आयुबंध एवं अगला भव क्या प्राप्त होगा यह तय करेंगे। आत्मा में रमण करने के लिए वात्सल्य भाव के साथ मुनियों से अनुराग रखो। क्रोध, मान, माया, लोभ रूपी कषाय पर विजय प्राप्त करने पर ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होंगा। इसलिए जीवन को कषाय मुक्त बनाने का प्रयास करते रहे। जिनवाणी श्रवण हमे कषाय मुक्त बनने में सहायक होता है। इससे पूर्व प्रवचन में मुनि शुभमकीर्ति महाराज ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को जीवनयापन के लिए कुछ न कुछ वस्तुओं की आवश्यकता होती है। इनका संयोग इच्छा,शक्ति व पुरूषार्थ से मिलता है। दान देने से शुभ परिणाम बनते है ओर अच्छे भव बनने से वह वापिस लौटकर भी आता है। इंसान को उसके कर्मो का फल अवश्य मिलता है इसलिए हमेशा शुभ कर्म ही करने चाहिए। अशुभ कर्म इंसान की गतियां बिगाड़ देते है।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।