दो जिलों को जोड़ने वाला मार्ग महायुद्ध में मलयुद्ध जैसा, चुनावी दौर में जनप्रतिनिधियों द्वारा किए हुए वादे कागजों में ही सिमट जाते हैं

राजेश शर्मा धनोप। दो जिलों अजमेर और भीलवाड़ा को जोड़ने वाला मार्ग कुरथल व धनोप के बीच 2 किलोमीटर की दूरी छोटी सी बरसात होने पर रास्ते से निकलना एक महायुद्ध में मलयुद्ध जैसा होता है। दो जिलों को जोड़ने वाला यह रास्ता है जो जन-जन का आस्था का केंद्र शक्तिपीठ मां धनोप के भक्तों का मुख्य रास्ता होने के बावजूद भी आज तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। तरह-तरह के वादे हर साल होते हैं। इसके बावजूद आज तक रत्ती भर भी कार्य नहीं हो पाया है। यहां तक कि वर्ष में दो बार नवरात्रा मेला भरा जाता है लेकिन जब नवरात्रा आता है तो दिखावे के तौर पर आधा- एक घंटा जेसीबी मशीन चला कर खानापूर्ति कर दी जाती है। 2 किलोमीटर यानी कुरथल की सीमा तक का आधा रास्ता बना हुआ है। आगे धनोप की सीमा की तरफ मात्र 2 किलोमीटर की सड़क आज दिन तक ना तो सांसद, ना ही विधायक अपने विधायक फंड से बना पाया और ना ही कोई सरपंच अपनी पंचायत फंड से बना पाए। सभी चुनावी दौर में वादे तो हिमालय जैसे ऊंचे-ऊंचे करते हैं और काम कागजों में ही धरा रह जाता है। राजस्थान में कहावत है कि "जठ पानी बताव उठ कादो भी न लाद" यह वाली कहावत आज भी लागू है। कहने का मतलब यह है कि सभी जनप्रतिनिधी चुनावी माहौल में वादे तो बड़े-बड़े कर लेते हैं और भोली भाली जनता को बेवकूफ बना लेते हैं तथा उन किए वादों पर खरे नहीं उतरते। आम नागरिकों का कहने का मतलब यह है कि काम निकल जाने के बाद में जनता भले ही भाड़ में जाए उनको जनता से कोई मतलब नहीं रहता है।