महंगाई की मार,घर पर वार …: रेत लोहा हुआ मंहगा .अब सीमेंट की बारी

घर बनाने का सपना महंगा हो रहा है। निर्माण में काम आने वाले लोहा और सीमेंट दोनों की महंगाई लोगों को परेशान करती दिख रही है। बीते दिनों से एकाएक लोहा-सरिया के दाम में उछाल देखा जा रहा है। बालू रेत के डम्पर में एक महीने में 5 से 7 हजार रूपये की बढ़ोत्तरी हुई हे ,अब सीमेंट ईंट के दाम बढ़ाने की बात कह रहे हे । बढ़ती महंगाई के बीच आम आदमी को उसके सपनों का घर बनाने के लिए, अब पहले की तुलना में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

लोहे के दाम में तेजी के लिए अमेरिका से लेकर भारत की नीतियां कारण बनी हैं, जबकि सीमेंट महंगी करना कंपनियों की रणनीति का हिस्सा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ वार शुरू करने के बाद इसी महीने भारत सरकार ने लोहे के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी प्रस्तावित की है।इसी महीने घोषणा हुई है कि लोहे के आयात पर 12 प्रतिशत सेफगार्ड ड्यूटी लग सकती है। इस खबर के असर से 12 मार्च के बाद से लोहे के दाम बढ़ने लगे। तब से अब तक सरिया करीब 4000 रुपये प्रति टन महंगा हो गया है। इसके अलावा जीएसटी अतिरिक्त देय है। सरिया कारोबारी छोटू लाल चांगवाल कहते हैं कि १० दिन में ही लोहे के दामों में तेजी आई हे , एक अन्य कारोबारी का कहना हे की खरीददार बाजार से दूर होने लगे हैं। बरसात के पूर्व निर्माण पूरा करने की जल्दबाजी देखी जाती है। बढ़ते दाम कई प्रोजेक्ट को अटका सकते हैं।
सीमेंट के दाम में भारी वृद्धि
घोषणा हो चुकी है कि एक अप्रैल से सीमेंट के दाम में अलग-अलग कंपनियां 30 से 40 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि कर सकती हैं। सीमेंट कारोबारी सुरेश बैरवा ने बताया की सीमेंट 290 से 330 रूपये तक बिक रहा हे । यदि दाम बढ़ाए तो सीमेंट 350 से 360 रुपये प्रति बोरी बिकने लगेगा। उधर ,
इसी तरह ईंट के भाव 10 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए छह हजार के करीब पहुंच गया है।
रेत में बड़ा खेल
भीलवाड़ा में जहां कुछ साल पहले तक बालू रेत की कीमत 1200 से ₹1500 ट्रॉली हुआ करती थी लेकिन अब ये 3 से साढ़े 3 हजार रुपए तक पहुंच गई है। डंपर की कीमत एक महीना पहले 18000 रुपए थी वहीं अब रेत की कीमत₹25000 के लगभग पहुंच गई है इसके पीछे हाल ही में पुलिस और खनिज विभाग द्वारा की गई शक्ति बताई जा रही है नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बात भी सामने आई कि कुछ सफेद पोश प्रभावशाली लोग रेत दोहन के अवैध कारोबार में भी हिस्सेदारी रखे हुए हैं
मांडल और मंगरोप क्षेत्र से रेत का ऐसे होता हे परिवहन
यह भी चर्चा की कुछ तो प्रति डंपर पर एक निश्चित राशि वसूल रहे हैं इसके लिए नाके तक लगाए गए हैं।