स्लीपर बसों का चक्का जाम कल से: व्यापार और यात्रियो की बढ़ी परेशानी – दीपावली बाद लौटने वालों की टिकटें रद्द

Update: 2025-10-31 07:50 GMT

 

भीलवाड़ा विजय गढ़वाल 

राजस्थान में ट्रेवल्स बसों में आग लगने की हालिया घटनाओं के बाद परिवहन विभाग ने सख्ती बढ़ा दी है। इसके विरोध में बस ऑनर्स एसोसिएशन ने एक नवंबर से सभी ट्रेवल्स बसों का संचालन बंद करने का फैसला किया है। इस निर्णय के बाद गुरुवार को ही संचालकों ने लगभग 2000 बुकिंग्स रद्द कर दीं, जिससे लंबी दूरी की यात्रा करने वालों में अफरा-तफरी मच गई है।

भीलवाड़ा, आसींद, गंगापुर और आसपास के इलाकों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री गुजरात और महाराष्ट्र की ओर यात्रा करते हैं। मुंबई, पूना, सूरत, बड़ौदा और अहमदाबाद के लिए करीब 70 से 80 ट्रेवल्स बसें रोजाना संचालित होती हैं, जिनसे लगभग 2500 से 3000 यात्री सफर करते हैं। अब संचालन रुकने से इन यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

ऑनलाइन टिकट बुकिंग से जुड़े यात्रियों की स्थिति और भी खराब है। एसोसिएशन के फैसले के बाद करीब 2000 ऑनलाइन टिकटें रद्द हो गई हैं। इसका असर नाथद्वारा जैसे धार्मिक स्थलों पर भी पड़ेगा, जहां आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी है।

व्यापार पर भी असरट्रेवल्स बसें केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि पार्सल और छोटे-मोटे व्यापारिक माल के परिवहन का प्रमुख साधन हैं। सूरत से साड़ियां, मुंबई व गुजरात से फल, दिल्ली और जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक सामान, तथा भीलवाड़ा से कपड़ा जैसी वस्तुएं प्रतिदिन ट्रेवल्स के जरिए भेजी जाती हैं। बस संचालन बंद होने से इन वस्तुओं की 12 से 18 घंटे में होने वाली त्वरित डिलीवरी प्रभावित होगी। व्यापारी वर्ग को अब माल मिलने में देरी हो सकती है, जिससे स्थानीय बाजारों की गतिविधियां भी धीमी पड़ेंगी।

रेल और रोडवेज सेवाएं भी अपर्याप्त

भीलवाड़ा जिले में लंबी दूरी के लिए रेल और रोडवेज की सेवाएं सीमित हैं। ट्रेनों में पहले से ही सभी सीटें बुक हैं, जबकि रोडवेज की गिनी-चुनी बसें ही गुजरात रूट पर चलती हैं। ऐसे में गुजरात और महाराष्ट्र की ओर जाने वाले यात्रियों को टिकट मिलना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, इन राज्यों से भीलवाड़ा आने वाले व्यापारी और कर्मचारी भी यात्रा से वंचित रह सकते हैं।

दीपावली के बाद लौटने वालों पर सबसे बड़ा असर

गुजरात और महाराष्ट्र में काम करने वाले भीलवाड़ा जिले के सैकड़ों परिवार हर साल दीपावली मनाने अपने गांव लौटते हैं। वहां व्यापारिक प्रतिष्ठान त्योहार के बाद लगभग 8 दिन बंद रहते हैं। अब जब वापसी का समय आया है, तब ट्रेवल्स बसों की हड़ताल से इन प्रवासी परिवारों की योजनाएं बिगड़ गई हैं। कई की टिकटें रद्द हो चुकी हैं, जिससे उन्हें अब ट्रेन या निजी वाहनों से सफर करने की मजबूरी होगी।

लंबे रूटों पर ट्रेवल्स सेवाओं के ठप होने से प्रदेश के हजारों यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

आरटीओ की कार्रवाई से परेशान

दरअसल, जोधपुर- जैसलमेर हाइवे पर हुए बस हादसे के बाद सरकार ने बसों में सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं, जिसके बाद प्राइवेट बस संचालकों के खिलाफ आरटीओ के अधिकारी लगातार कड़ा एक्शन कर रहे हैं। बसों में खामियां मिलने पर लगातार सीज की कार्रवाई की जा रही है, जिससे परेशान होकर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने हड़ताल का निर्णय लिया है।

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