नया मोबाइल फ्रॉड:: कॉल और मैसेज सीधे ठग के पास बचे *21 के उपयोग से,आये झांसे में तो खाता खाली

Update: 2025-10-30 08:22 GMT

भीलवाड़ा  विजय गढ़वाल 

शादी कार्ड के बाद अब साइबर अपराधियों का नया और बेहद खतरनाक ठगी का तरीका सामने आया है। ठग अब मोबाइल कॉल और मैसेज को अपने नंबर पर फॉरवर्ड कर लोगों के बैंक खातों, सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप तक पहुंच बना रहे हैं। पुलिस ने इस नए फ्रॉड पैटर्न को डिजिटल अपराध की सबसे चालाक तरकीब बताया है और जनता को सतर्क रहने की अपील की है। थोड़ी सी लापरवाही आपकी पूरी डिजिटल जिंदगी को खतरे में डाल सकती है।

कैसे होती है यह ठगी

साइबर अपराधी खुद को बैंक, मोबाइल कंपनी या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर फोन करते हैं। वे भरोसा जीतने के बाद किसी बहाने से पीड़ित को मोबाइल पर *21 (मोबाइल नंबर)# जैसा कोड डायल करने को कहते हैं। जैसे ही व्यक्ति यह कोड डायल करता है, उसके नंबर पर आने वाली हर कॉल और एसएमएस सीधे ठग के मोबाइल पर फॉरवर्ड होने लगते हैं। इसके बाद ठग आसानी से ओटीपी, बैंक अलर्ट और वेरिफिकेशन कोड तक पहुंच बना लेते हैं।




 

इसी के जरिए वे बैंक खातों से रकम निकाल लेते हैं, व्हाट्सऐप अकाउंट हैक कर लेते हैं और डिजिटल वॉलेट से लेनदेन कर लेते हैं। कई मामलों में अपराधी पीड़ित के नाम पर लोन तक ले लेते हैं।

क्यों है यह तरीका खतरनाक

यह फॉरवर्डिंग ट्रिक मोबाइल सिस्टम के अंदर मौजूद वैध कॉल डाइवर्ट फीचर का गलत इस्तेमाल करती है। व्यक्ति को कोई ऐप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ एक कोड डायल करना ही उसकी डिजिटल सुरक्षा को खतरे में डाल देता है।

कैसे हो रहा है ये फ्रॉड?

साइबर क्राइम एसपी शांतनु कुमार के मुताबिक, साइबर ठग सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर पहले आपके विश्वास में आते हैं। वे खुद को पार्सल डिलीवरी एजेंट, बैंक अधिकारी या कोई पुराना दोस्त बताकर कॉल या व्हाट्सएप पर संपर्क करते हैं। फिर किसी बहाने से आपसे एक कोड डायल करने को कहा जाता है — जैसे: **21*फोन नंबर# जैसे ही कोई व्यक्ति यह कोड डायल करता है, उसका कॉल फॉरवर्डिंग सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है और उसके नंबर पर आने वाले सभी कॉल्स — यहां तक कि OTP वेरिफिकेशन कॉल्स भी — सीधे अपराधी के पास पहुंच जाते हैं।

साइबर पुलिस की एडवाइजरी

1. किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर *21 या कोई अन्य कोड डायल न करें।

2. बैंक अकाउंट, ओटीपी, या मोबाइल से जुड़ी निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें।

3. यदि कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आए, तो तुरंत ब्लॉक करें और साइबर हेल्पलाइन 1930 या [www.cybercrime.gov.in](http://www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज कराएं।

4. समय-समय पर मोबाइल की कॉल फॉरवर्डिंग सेटिंग की जांच करते रहें।

साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि यह नया ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि इसमें ठग को पीड़ित से किसी लिंक या ऐप पर क्लिक कराने की जरूरत नहीं होती। केवल एक कॉल और एक कोड से पूरा खेल हो जाता है।

इसलिए अगली बार जब कोई आपको कहे कि “यह कोड डायल कर दो, इससे नेटवर्क ठीक हो जाएगा”, तो सावधान हो जाइए। यह कोड आपका मोबाइल ही नहीं, आपकी पूरी डिजिटल पहचान किसी और के हाथ में दे सकता है।


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