भीलवाड़ा में ईद उल फितर पर खुदा की बारगाह में झुके लाखों सिर, दी बधाईयां,सुरक्षा के कड़े प्रबंध

Update: 2025-03-31 03:50 GMT
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भीलवाड़ा(हलचल)।  जिले भर में  मस्जिदों में लोगों ने ईद की नमाज अदा की है  मुख्य नमाज सांगानेरी गेट ईदगाह पर हुई, जहा ईद उल फितर पर खुदा की बारगाह में  लाखों सिर झुके और ऊपरवाले से अमन-चैन की दुआ मांगी . प्रेम और हर्षोल्लास से ईद मनाई जा रही हे, 

भीलवाड़ा शहर में भी आज ईद के पर्व को लेकर मुख्य नमाज सांगानेरी गेट स्थित ईदगाह पर संपन्न हुई. शहर काजी मुफ्ती अशरफ जिलानी की सवारी  ईदगाह  पहुंची, जहां देश में अमन और सुकून की दुआ मांगने के साथ ही ईद की मुख्य नमाज  अदा की गई. वहीं शहर की जवाहरनगर, गांधीनगर, पुर, सांगानेर, आदि मस्जिदों में भी नमाज हुई, जबकि हमीरगढ़, बनेड़ा, शाहपुरा, जहाजपुर, गंगापुर, बीगोद  में भी ईद पर नमाज अता की गई, इस दौरान जिले भर में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हे।

ईदगाह पर बधाई देते पुलिस अधिकारी सभी फोटो संपत माली और प्रहलाद तेली

ईदगाह पर बधाई देते पुलिस अधिकारी सभी फोटो संपत माली और प्रहलाद तेली


 ईदगाह पर अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक पारस जैन, ,सीओ सिटी मनीष बड़गुर्जर, , कांग्रेस के  जिला अध्यकअक्षय त्रिपाठी पूर्व सभापति ओम नरानीवाल आदि जनप्रतिनिधियों ने ईद की बधाइयां दी




 


पूरे एक महीने के कठिन रोजे के बाद ईद का त्योहार आता है. इस दिन लोगों के घरों में सेंवई बनती हैं, इसलिए इस पर्व को ''मीठी ईद'' भी कहा जाता है. मालूम हो कि परंपरानुसार ईद-उल-फितर का पर्व ''शव्वाल'' की पहली तारीख को मनाया जाता है,जो कि रमजान के महीने के खत्म होने पर शुरू होता है. ''शव्वाल'' का चांद दिखने पर ही ईद की तारीख तय होती है और वो कल दिखा था इसलिए आज पूरे देश में भाईचारे और प्रेम के प्रतीक इस त्योहार को मनाया जा रहा है.

आज के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं. घरों में कई तरह के पकवान बनते हैं. नमाज अदा करने के बाद लोग एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. इस दिन तो बच्चों की मौज होती है, उनकी खुशी तो देखने लायक होती है. यह त्योहार आपसी प्रेम, भाईचारे और एकता का मानक है जो कि लोगों के चेहरे पर मुस्कान लेकर आता है.दरअसल इस्लाम में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना गया है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इसमें लोग संयमित रहकर ऊपरवाले से सीधे साक्षात्कार करते हैं. इस पूरे महीने में सभी मुसलमान रोजे रखते हैं. कहते हैं कि 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान शरीफ इसी महीने में नाजिल हुई 

इसलिए इसे पाक महीना कहा जाता है. इस महीने के ही अंतिम दिन ईद मनायी जाती है. 

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