कोटड़ी में जलझूलन महोत्सव की धूम 3 को, उमड़ेेेगा भक्तों का सैलाब, भजन संध्‍या आज

Update: 2025-09-02 09:56 GMT

भीलवाड़ा (हलचल)। मेवाड़ अंचल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कोटड़ी धाम इस बार भी भगवान श्री चारभुजानाथ के जलझूलनी एकादशी पर्व पर श्रद्धा और भक्ति से सराबोर है। आगामी 3 सितंबर, बुधवार को यहां परंपरागत जलझूलन महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है और अभी से दूर-दराज से पदयात्रियों का आगमन शुरू हो चुका है।

कोटड़ी कस्बे का मुख्य बाजार और मंदिर प्रांगण रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा है। मंदिर को सुंदर पुष्पों और आकर्षक लाइटिंग से सजाया गया है। श्री चारभुजा मंदिर ट्रस्ट, प्रशासन और पंचायत ने मिलकर तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

भक्तों की सेवा में कोटड़ी, भीलवाड़ा, शाहपुरा, जहाजपुर, बनेड़ा, सवाईपुर, काछोला सहित कई क्षेत्रों में जगह-जगह लंगर लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं की मनुहार करते हुए स्थानीय लोग स्वागत में पलक पांवड़े बिछा रहे हैं। बसों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। क्षेत्र में अच्छी बारिश के कारण तालाब और बांध लबालब भरे हुए हैं, जिससे इस बार मेले का उत्साह दोगुना हो गया है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

मंदिर प्रांगण और मेला स्थल पर उपखंड अधिकारी तानिया रिणवा, तहसीलदार रामकिशोर मीणा, पुलिस उपाधीक्षक रविन्द्र यादव, थाना प्रभारी महावीर मीणा सहित विभागीय अधिकारी लगातार निगरानी रखे हुए हैं। भीलवाड़ा जिले से अतिरिक्त पुलिस बल की भी तैनाती की गई है।

श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा आकर्षण भगवान को अर्पित 1151 किलो शक्कर से निर्मित छप्पन भोग का प्रसाद है, जिसका वितरण रात 1 बजे से किया जाएगा। प्रसाद के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं ताकि वितरण में कोई अव्यवस्था न हो।

ट्रस्ट के सुदर्शन गाडोलिया ने बताया की रात में विशाल भजन संध्या का आयोजन होगा, जिसमें भजन कलाकार गोकुल शर्मा और छोटू रावणा अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

भक्तों के कंधों पर विराजेंगे भगवान



 



कोटड़ी में एक विशेष परंपरा है, जो इसे अन्य स्थलों से अलग बनाती है। आमतौर पर जलझूलन के बाद भगवान के बेवाण को विश्राम के लिए नीचे उतार दिया जाता है, लेकिन कोटड़ी में भगवान श्री चारभुजानाथ की निज मूर्ति पूरे जलझूलन यात्रा के दौरान भक्तों के कंधों पर ही विराजमान रहती है। गढ़माईला श्याम भक्तों की टोली भगवान को कंधा देने के लिए विशेष रूप से आतुर रहती है। हर भक्त यही प्रयास करता है कि उसे निज मूर्ति को कंधा लगाने का सौभाग्य प्राप्त हो और वह प्रभु के सन्मुख जा सके। यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और सेवा का अनुपम उदाहरण बन चुका है।

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