कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना पर संगोष्ठी आयोजित

Update: 2025-10-07 17:27 GMT

भीलवाडा । ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे, मौसम परिवर्तन आदि को रोकने के लिए विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के तहत भारत के लिए भी ग्रीन हाउस उत्सर्जन तीव्रता (जीईआई) में कमी लाना आवश्यक है एवं वर्ष 2030 तक भारत को अपने उत्सर्जन में कमी के आंकड़े बताने होगें। राजस्थान मंे टेक्सटाइल, टायर, ग्लास आदि उद्योगों के लिए इन्वारमेन्टज, सौशल, गर्वेनेंस (ईएसजी) की अनुपालना आवश्यक है। हम इन नियमों एवं कानूनों को एक नए व्यावसायिक अववसर के रुप में ले सकते है, क्योंकि इन कानूनों की पालना से न केवल हमारी लागत कम होगी, वरन इनसे आमदनी भी प्राप्त कर सकते है। यह बात मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से आज सायं कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना कार्यक्रम पर आयोजित संगोष्ठी मंे पुणे के विशेषज्ञ चंदन लाहोटी ने अपने प्रस्तुतिकरण में कही। उन्होंने बताया कि प्रारम्भ में यह नियम सभी लिस्टेड कम्पनियों के लिए लागू किये गये। लेकिन अगर आप ऐसी कंपनियों को माल सप्लाई करते है या निर्यात करते है तो भी आपको इनकी अनुपालना करनी होगी। आगे आने वाले समय में बैंक ऋण लेने के लिए इस तरह की अनुपालना आवश्यक हो जाएगी।

लाहोटी ने बताया कि कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (सीसीटीएस) के तहत देश की 650 कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन कम करने के नोटिस जारी किये जा चुके है। भीलवाड़ा के प्रोसेसिंग उद्योग में कार्बल उत्सर्जन की गणना में केवल कार्बन डाई-ऑक्साइड ही नही अन्य तरह के केमीकल जो वायु में निकलते है, उनकी भी गणना करनी होगी। यह उचित समय है कि अभी से सही तरह से आंकड़े नियामक संस्था को प्रेषित करे और अपने उत्सर्जन में कमी करे, इससे प्राप्त कार्बन क्रेडिट को हम आमदनी के लिए भी उपयोग में ले सकते है।

कार्बन उत्सर्जन रिर्पोट में पहले कदम में कम्पनी या औद्योगिक इकाई के बॉयलर, फर्नेस, उत्पादन, प्रोसेस से निकलने वाले धुंए, ऑन साइट वेस्ट ट्रीटमेन्ट के धुंए एवं उद्योग के द्वारा उपयोग में लिए जाने वाले वाहनों की गणना करनी होगी। दूसरे कदम में अप्रत्यक्ष उपयोग में ऑफिस, फैक्ट्री आदि में विद्युत उपयोग, हिटिंग एवं कूलिंग प्रोसेस में एनर्जी उपयोग में काम आये अप्रत्यक्ष कार्बन उत्सर्जन की गणना करनी होगी। तीसरे कदम में अन्य अप्रत्यक्ष उत्सर्जन में रॉ-मटेरियल, यात्रा, वेस्ट ट्रीटमेंट, ट्रांसपोर्टेशन आदि के उपयोग में हुए कार्बन उत्सर्जन की भी गणना करनी होगी।

भारत सरकार ने 17 अप्रैल एवं 23 जून 2025 को गजट जारी कर कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को विधिवत रूप दे दिया है। इससे आप कार्बन क्रेडिट बेच कर आमदनी भी कर सकते है। इस गजट के तहत आयरन एवं स्टील, सीमेंट, टेक्सटाइल, पेपर, पेट्रोलियम रिफाइनरी, एल्यूमिनियम, पेट्रोकेमिकल उद्योग वर्तमान में सम्मिलित किये गये है। स्वीकृत उद्योगों से खरीदी गई कार्बन क्रेडिट ही मान्य होगी, लेकिन जिन उद्योगों पर यह नियम लागू नहीं है वे भी कार्बन क्रेडिट प्राप्त कर उसे बेचने के अधिकारी होगें।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मेवाड़ चैम्बर के अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने कहाकि वर्ष 2018 से सरकार ने इस विषय पर काम करना प्रारम्भ किया एवं अब यह कानून बन गया है। अगर हमें उद्योग चलाना है, तो इन कानूनों की पालना करनी होगी। पूर्व में हमने जल प्रदूषण कानूनो की पालना कर अच्छा कार्य किया है, अब इसी अनुरुप हमें वायु प्रदूषण नियन्त्रण एवं ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमारा योगदान देना होगा।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अध्यक्ष अनिल मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आर सी लोढ़ा ने पुष्प गुच्छ से अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम में सभी प्रोसेस हाउस, स्पिनिंग इकाइयों, असाही ग्लास उद्योग, जे के टायर के वरिष्ठ तकनीकी प्रबंधक एवं इंजिनियर उपस्थित थे।

Similar News