कोर्ट ने खोली पुलिस के फर्जीवाडे की पोल: असली आरोपी की जगह दूसरे को पेश किया, रिकॉर्ड में की छेड़छाड़

Update: 2024-06-30 02:51 GMT

इंदौर।  शराब पीकर वाहन चलाने  और  एक्सीडेंट के मामलों में पुलिस अधिकारियों ने संगमत होकर असली आरोपितों की जगह दूसरे व्यक्तियों को प्रस्तुत करने की चर्चाएं तो सुनने को मिलती रहती हे, लेकिन इस बार  पुलिस का फर्जीवाड़ा कोर्ट की नजर से बच नहीं सका। इस मारोप में इंदौर जिला न्यायालय ने पुलिस जोन-दो के उपायुक्त, लसूड़िया पुलिस थाना प्रभारी सहित आठ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

न्यायाधीश जयकुमार जैन ने एमजी रोड पुलिस को आदेश दिया है कि वह संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 200, 203, 218, 465, 468, 471 और 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना करे।उक्त धाराएं संज्ञेय प्रकृति की हैं और इनमें अपराध सिद्ध होने पर सात वर्ष तक कारावास का प्रविधान है। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि इन प्रकरणों से पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न हुआ है।लसूड़िया पुलिस ने आरोपित अभिषेक सोनी के खिलाफ मोटरयान अधिनियम की धारा 185 (शराब पीकर वाहन चलाना) के तहत प्रकरण दर्ज किया था। इसमें कहा था कि आरोपित वाहन क्रमांक एमपी 11 जेडसी 5555 को शराब पीकर चला रहा था।

दस्तावेजों में की छेड़छाड़

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में यह बात भी सामने आई कि उक्त अधिनियम की धारा 185 के तहत दर्ज कई प्रकरणों में दस्तावेजों में काटा-पिटी (छेड़छाड़) की गई है। जिस व्यक्ति की ब्रीथ एनलाइजर से जांच की गई थी। बाद में उसका नाम काटकर किसी अन्य व्यक्ति का नाम लिख दिया गया। कोर्ट ने उक्त आदेश की पुलिस आयुक्त और प्रधान जिला न्यायाधीश को भी प्रेषित की है।

इनके खिलाफ 

उपायुक्त जोन-दो अभिनय विश्वकर्मा, लसूड़िया पुलिस थाना प्रभारी तारेश सोनी, एसआई राहुल डाबर, एसआई नरेंद्र जायसवाल, एसआइ महेंद्र मकाश्रे, एसआई कैलाश मर्सकोले, एएसआई राजेश जैन, आरक्षक बेनू धनगर।


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