कोटड़ा पंचायत समिति में भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां 390 हैंडपंप लगाने की योजना के नाम पर करीब 3.25 करोड़ की स्वीकृति तो जारी कर दी गई, लेकिन भास्कर पड़ताल में सामने आया कि जिन गांवों में 2025 में हैंडपंप खुदाई दिखाई गई, वहां पिछले 4 साल से एक भी हैंडपंप नहीं खुदा।
सबसे हैरान करने वाली बात यह कि भुगतान के आधार बने यूसी-सीसी फॉर्म पर सहायक अभियंता के हस्ताक्षर तक नहीं हैं, फिर भी ठेकेदार को लगभग 2 करोड़ रुपये रिलीज कर दिए गए।
ठेकेदार चावंड सिंह का दावा है कि वर्क ऑर्डर के अनुसार सभी हैंडपंप खोद दिए गए हैं और केवल 30 हैंडपंप के ढांचे लगना बाकी हैं। उनका कहना है कि खेतों में फसल होने के कारण ढांचे नहीं लग पाए।
मौके पर कुछ नहीं, कागजों में पूरा काम!
गोगरूद सरपंच पति और बीजेपी मंडल अध्यक्ष राजाराम गरासिया ने बताया कि उनकी पंचायत में इस साल एक भी हैंडपंप या पनघट नहीं लगा, पुराने अधूरे पड़े हैं।
मालवा का चौरा के समाजसेवी एडवोकेट तोताराम गरासिया का भी कहना है कि 2018-19 के बाद एक भी नया हैंडपंप नहीं खुदा।
उपलावास के सरपंच हेरा राम गरासिया ने आशंका जताई कि जियो टैगिंग के नाम पर पुराने हैंडपंप दिखाकर अरबों का भुगतान उठा लिया गया होगा।
सवालों के घेरे में पूरा सिस्टम
हैंडपंप जमीन पर नहीं, तो 2 करोड़ का भुगतान कैसे?
AE के साइन गायब, फिर मंजूरी किसने दी?
जियो टैगिंग में पुराने हैंडपंपों को नया बताकर खेल किया गया?
कोटड़ा पंचायत समिति में सामने आया यह मामला पानी घोटाले का ताजा चेहरा बनकर उभर रहा है, जो पूरे ब्लॉक की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
