बांसवाड़ा: इंसानियत शर्मसार, 16 साल की मासूम से हैवानियत की हद पार

Update: 2025-09-01 17:06 GMT


बांसवाड़ा,   एक बार फिर राजस्थान की धरती पर दरिंदगी का काला साया पड़ा है। बांसवाड़ा में 16 साल की एक नाबालिग लड़की को दो नाबालिगों ने अपनी हैवानियत का शिकार बनाया है। स्कूल से लौट रही मासूम को अगवा कर उसके साथ बर्बरता की गई, और फिर उसे अधमरी हालत में सड़क पर फेंक दिया गया। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि समाज के मुंह पर एक करारा तमाचा है।

स्कूल से अगवा, हैवानियत का तांडव

20 अगस्त को, हमेशा की तरह, एक 16 साल की छात्रा स्कूल से घर लौट रही थी। वह ऑटो का इंतजार कर रही थी, तभी बाइक पर दो लड़के आए। उनमें से एक लड़का उसी के स्कूल का पूर्व छात्र था। उसने लड़की को घर छोड़ने का झांसा दिया। जब उसने मना किया, तो दोनों ने उसे जबरन बाइक पर बैठा लिया और अगवा कर लिया।

ये हैवान लड़की को एक सुनसान मकान में ले गए। वहां शराब पीकर दोनों ने उसके साथ मारपीट की और फिर बारी-बारी से दुष्कर्म किया। इसके बाद, एक नाबालिग उसे अपनी बुआ के घर ले गया, जहां उसने भी दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं।

प्राइवेट पार्ट में बोतल, फिर सड़क पर फेंका

हैवानियत का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। जब दोनों अपनी क्रूरता से थक गए, तो उन्होंने लड़की के प्राइवेट पार्ट में बोतल डाल दी, जिससे वह बेहोश हो गई। 21 अगस्त को, उन दोनों ने उस मासूम को पीपलखूंट इलाके की सड़क पर फेंक दिया और फरार हो गए।

सड़क पर बेहोश पड़ी लड़की को देखकर एक राहगीर की नजर उस पर पड़ी। उसने तुरंत इंसानियत का फर्ज निभाया और उसे अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और परिजनों को सूचित किया। लड़की की गंभीर हालत को देखते हुए उसे तुरंत उदयपुर के एमबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

जिंदगी और मौत के बीच झूलती मासूम

उदयपुर के एमबी अस्पताल में पीड़िता को तुरंत ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन ने बताया, “जब बच्ची यहां लाई गई, उसकी हालत बहुत नाजुक थी। आते ही उसका ऑपरेशन किया गया। अब उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया है।” यह बताता है कि हैवानों ने किस हद तक उस मासूम के शरीर को नुकसान पहुंचाया था।

पुलिस ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए एक नाबालिग को हिरासत में ले लिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ एक गिरफ्तारी से समाज में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगेगी?

यह घटना एक बार फिर समाज के उन काले चेहरों को उजागर करती है, जहां आज भी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। यह सवाल हर माता-पिता, हर नागरिक और हर जिम्मेदार व्यक्ति से पूछा जाना चाहिए कि आखिर कब तक मासूमों को ऐसे दरिंदों का शिकार होना पड़ेगा? क्या हमारा समाज इतना खोखला हो चुका है कि 16 साल की बच्ची भी स्कूल से घर लौटते समय सुरक्षित नहीं है?

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