ईनाणी हत्याकांड का शूटर जेल भेजा, साजिशकर्ताओं तक नहीं पहुंच पाई पुलिस; लगातार चौथी बड़ी वारदात में जांच पर सवाल
चित्तौड़गढ़ में कुरियर व्यवसायी रमेश ईनाणी की सनसनीखेज हत्या के मामले में गिरफ्तार शूटर मनीष दुबे को आठ दिन की पुलिस रिमांड के बाद मंगलवार को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। लेकिन भारी कोशिशों के बावजूद पुलिस इस हत्याकांड के पीछे के असली साजिशकर्ताओं तक नहीं पहुंच सकी। यह स्थिति इसलिए भी चिंता बढ़ाती है क्योंकि इस साल जिले में हुई चार बड़ी वारदातों में पुलिस हर बार षड्यंत्र रचने वालों तक पहुंचने में नाकाम रही है।
कोतवाली थाना प्रभारी तुलसीराम, जो इस मामले के जांच अधिकारी भी हैं, ने बताया कि आरोपी उत्तरप्रदेश के बनारस निवासी मनीष दुबे से पूछताछ के दौरान हत्या में प्रयुक्त पिस्टल, तीन जिंदा कारतूस और बाइक बरामद कर ली गई है। आरोपी लगातार यही दावा करता रहा कि दो ढाई साल पहले मृतक ने उसे गाली दी थी, इसलिए उसने व्यक्तिगत रंजिश में गोली मारी। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों की जांच जारी रखी है और कहा है कि यदि कोई और आरोपी सामने आता है तो आगे कार्रवाई की जाएगी।
मृतक के परिजनों ने रिपोर्ट में जमीन विवाद की बात उठाते हुए एक प्रमुख स्थानीय संत पर हत्या करवाने का आरोप भी लगाया है। हालांकि पुलिस ने अभी किसी को क्लीन चिट नहीं दी है।
अब इन चार घटनाओं का सिलसिलेवार हाल
घटना 1
फरवरी में विजयपुर थाना क्षेत्र में एक व्यवसायी के बेटे को गोली मार दी गई। जांच में सामने आया कि फायरिंग गलती से हुई थी, जब अपराध अन्वेषण विभाग जयपुर की टीम अफीम तस्करों को पकड़ने के लिए इलाके में घूम रही थी। मामला बाद में एसओजी को सौंपा गया।
घटना 2
मई में चित्तौड़गढ़ कोतवाली क्षेत्र में अवैध बजरी कारोबार से जुड़े गैंगस्टर की हत्या कर दी गई। परिजनों ने एक बड़े जनप्रतिनिधि पर गंभीर आरोप लगाए। 24 आरोपी पकड़े गए, पर साजिशकर्ता अब भी गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस इसे न गैंगवार मान रही है और न ही षड्यंत्र, जबकि दस्तावेजों में मृतक स्वयं भी गंभीर मामलों में नामजद था।
घटना 3
अक्टूबर में कपासन क्षेत्र में सुपारी लेकर एक युवक की टांगे तोड़ दी गईं। पीड़ित ने भी एक बड़े नेता पर सुपारी देने का आरोप लगाया। चार आरोपी पकड़े गए, लेकिन मामला अब एसओजी को सौंप दिया गया है।
घटना 4
अब रमेश ईनाणी हत्याकांड में भी पुलिस शूटर तक तो पहुंची, पर साजिशकर्ताओं का सुराग अभी तक नहीं मिल पाया।
इन लगातार वारदातों में पुलिस की जांच की धीमी गति और असली मास्टरमाइंड तक न पहुंच पाने से आमजन में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। लोगों का सवाल है कि क्या जिले में संगठित सुपारी किलिंग और गैंगवार की प्रवृत्ति गहराती जा रही है और क्या पुलिस वास्तव में इनके मूल स्रोत तक पहुंचने की क्षमता रखती है।
जांच फिलहाल जारी है और शहर इस केस के अगले मोड़ का इंतजार कर रहा है।
