वक्फ में कोई गैर मुसलमान सदस्य नहीं होगा,लोकसभा में बोले -गृहमंत्री अमित शाह

By :  vijay
Update: 2025-04-02 14:13 GMT
वक्फ में कोई गैर मुसलमान सदस्य नहीं होगा,लोकसभा में बोले -गृहमंत्री अमित शाह
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वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में अपनी बात रख रहे हैं. सदन को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक अरबी शब्द है. एक प्रकार से इसकी आज की भाषा में व्याख्या करें तो ये एक प्रकार का चैरिटेबल एंडोमेंट है. भारत का जहां तक सवाल है तो दिल्ली में सल्तनत काल के प्रारंभ में पहली बार वक्फ अस्तित्व में आया. बाद में चैरिटेबल प्रॉपर्टी एक्ट चला. आजादी के बाद 1954 में बदलाव किया गया. इसके बाद आगे चलकर वक्फ बोर्ड बना. ये पूरा झगड़ा जो चल रहा है वो इसमें दखल करना का है. पहले तो वक्फ में कोई गैर इस्लामिक सदस्य आएगा ही नहीं.

लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक अरबी शब्द है. वक्फ का इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ मिलता है और आज कल जिस अर्थ में वक्फ का प्रयोग किया जाता है, इसका अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान. पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान. वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय स्तित्व में आया. एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का चैरिटेबल इनरोलमेंट है.

सरकारी संपत्ति का दान वक्फ नहीं है

उन्होंने आगे कहा कि जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापिस लेने के उद्देश्य से. इसमें जो दान देता है उसका बहुत महत्व है. दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता.

विपक्ष की ओर से वक्फ को लेकर भ्रम खड़ा किया जा रहा, बोले शाह

ये जो भ्रम पैदा किया किया जा रहा है कि ये एक्ट मुस्लिम भाइयों के धार्मिक क्रियाकलापों और उनकी दान की हुई संपत्ति को दखल करने के लिए है. यह वोट बैंक खड़ा करने के लिए किया जा रहा है. ये भ्रम खड़ा किया जा रहा है कि सरकार मुस्लिम भाइयों के बीच और उनकी संपत्ति के बीच दखल देना चाहती है. ऐसा कुछ है ही नहीं.

शाह ने कहा कि विपक्ष वोट बैंक की राजनीति कर रहा है. वक्फ बोर्ड धार्मिक कार्यों के लिए है. यूपीए सरकार ने सरकारी संपत्ति वक्फ को दिया. दिल्ली में वक्फ को सरकारी जमीन दी गई. तमिलनाडु में मंदिर की जमीन को वक्फ को दे दिया गया. पिछली सरकार ने 1500 साल पुरानी जमीन वक्फ के लिए दे दिया. संसद में केंद्रीय मंत्री ने लालू यादव के पूर्व में दिए गए बयान का भी जिक्र किया. जिसमें उन्होंने वक्फ बोर्ड में हो रही गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था और कानून को कड़ा करने की मांग की थी.

अमित शाह ने बताया बिल में क्या-क्या है?

सबसे पहले, वक्फ में किसी भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जाएगी.

हमने धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने का न तो कोई प्रावधान किया है और न ही ऐसा करने का इरादा है.

वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड की स्थापना 1995 में हुई थी.

यह गलत धारणा है कि यह अधिनियम मुसलमानों की धार्मिक गतिविधियों, दान की गई संपत्तियों में हस्तक्षेप करता है.

अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने, विशिष्ट मतदाता जनसांख्यिकी को खुश करने के लिए यह गलत सूचना फैलाई जा रही है.

वोट बैंक के लिए हम कानून नहीं लाएंगे, वक्फ की संपत्ति के रखरखाव के लिए यह बिल लाया गया है.

वक्फ का ऑडिट होगा, पारदर्शिता आएगी, हड़पी गई जमीन के लिए कोर्ट जा सकते हैं.

भारत सरकार का कानून सबको मानना पड़ेगा.

विपक्ष अल्पसंख्यक को भड़का रहा है.संसद का कानून है सबको मानना होगा.

विपक्ष बिल को बता रहा असंवैधानिक

दरअसल, वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दल लामबंद हैं और वो बिल का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार की नजर एक विशेष समुदाय की जमीन पर है. पार्टी नेताओं का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदायों को अपमानित करने और समाज में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है.

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