शाहपुरा में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा में जनसहभागिता नदारद

Update: 2025-12-13 14:47 GMT

शाहपुरा। मूलचन्द पेसवानी |राज्य सरकार के निर्देशानुसार शाहपुरा में इन दिनों सड़क सुरक्षा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना, सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को समझाना तथा लापरवाही से होने वाले हादसों की रोकथाम करना है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अभियान का तीसरा दिन भी आज अपेक्षित जनजागरूकता पैदा करने में असफल नजर आया।

शनिवार को पुलिस थाना परिसर से पुलिस एवं परिवहन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक वाहन रैली निकाली गई। रैली के माध्यम से सड़क सुरक्षा का संदेश आम जनता तक पहुंचाने का दावा किया गया, लेकिन जनसहभागिता के नाम पर स्थिति निराशाजनक रही। रैली में आम नागरिकों की मौजूदगी न के बराबर दिखाई दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका प्रमुख कारण यह रहा कि पुलिस और परिवहन विभाग के आला अधिकारियों ने आम जनता को समय रहते सूचना देना आवश्यक नहीं समझा।

सूत्रों के अनुसार दोनों विभागों के अधिकारियों ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए कुछ टैक्सी चालकों को बुला लिया और विभागीय कार्मिकों के साथ वाहन रैली निकालकर औपचारिकता पूरी कर ली। न तो विद्यालयों के विद्यार्थियों को जोड़ा गया और न ही सामाजिक संगठनों, व्यापारियों अथवा आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बिना जनता की सहभागिता के यह अभियान कितना सफल हो पाएगा।

सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा पखवाड़ा आम जनता की सुरक्षा के लिए चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य हेलमेट व सीट बेल्ट के उपयोग, निर्धारित गति सीमा के पालन, नशे में वाहन न चलाने तथा यातायात नियमों के प्रति जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों को जागरूक करना है। लेकिन जब आम नागरिकों को ही अभियान से दूर रखा जाएगा, तो जनजागरण का उद्देश्य अधूरा ही रह जाएगा।

शनिवार को रैली देखने के दौरान कई नागरिकों ने आपस में चर्चा करते हुए सवाल उठाया कि केवल वाहन रैली निकाल देने से सड़क सुरक्षा की भावना कैसे मजबूत होगी। यदि विभागीय अधिकारी जनता की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करते, तो निश्चित रूप से अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आते।

उल्लेखनीय है कि शाहपुरा में जिला परिवहन अधिकारी पदस्थापित हैं तथा पुलिस विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भी पदस्थापित हैं। इसके बावजूद अभियान के प्रचार-प्रसार और योजना में कमी साफ नजर आई। विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर चलाए जाने वाले अभियानों में सरकारी अमले के साथ-साथ समाज के हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक होती है।

अब आमजन की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा वास्तविक जनजागरूकता का स्वरूप ले पाएगा या फिर यह अभियान केवल औपचारिक कार्यक्रमों तक ही सीमित रह जाएगा।

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