शीतल संप्रदाय की भव्य आत्मा थे वेणी गुरुवर नंदराय में पुण्योत्सव समारोह में उमड़े श्रद्धालु
आकोला ( रमेश चंद्र डाड) श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ नंदराय के तत्वावधान में तथा यश गुरुवर्या की प्रमुख शिष्या प्रज्ञामूर्ति महासाध्वी मधुकंवर जी महाराज एवं स्वर कोकिला डॉक्टर चिंतन श्री जी महाराज के सानिध्य में तपस्वीराज वेणीचंद जी महाराज का 116 वाॅं पुण्य स्मृति दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। दिनकर संदेश के प्रधान संपादक समाजरत्न दिनेश संचेती 'दिनकर' की अध्यक्षता में प्रारंभ हुए समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जैन संघ बेगूं के वरिष्ठ समाजसेवी विमल कुमार पगारिया तथा भोपाल सिंह बापना बीगोद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह गौरव के रूप में अमर सिंह डूंगरवाल भीलवाड़ा, चाॅंदमल लोढ़ा बेगूं तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रमोद सिंघवी भीलवाड़ा, शिवकुमार पगारिया जोजवा, धर्मीचन्द रातड़िया बेगूं, मनीष बम्ब भीलवाड़ा, सज्जन सिंह बापना खटवाड़ा, राजूलेन्द्र सुराणा बेगूं, लादू सिंह ओस्तवाल मांडलगढ़, नरेश कुमार बापना बीगोद तथा दलपत सिंह डांगी कोटड़ी की भागीदारी रही।
समारोह में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का उत्साह भी देखते बनता था। जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की राष्ट्रीय मंत्री मेवाड़ मणी मधु संचेती, जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा राजस्थान प्रांत की वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजया देवी डूंगरवाल 'महिला गौरव' के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही थी।
महासाध्वी डॉक्टर चिंतनश्री जी महाराज ने अपने प्रभावी प्रवचन में वेणीचंद जी महाराज के जीवनवृत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपने तपोबल से अनेकों सिद्धियाँ हांसिल करके वचन सिद्ध साधक बन गए थे। वे शीतल संप्रदाय ही नहीं संपूर्ण जैन समाज की भव्य आत्मा थे । उन्होंने कहा कि संत बनना सरल है संत बन जाएं एवं संतत्व के भाव मन में ना हो तो वह मात्र संत का परिवेश बनकर रह जाएगा, महासाध्वी मधुकंवर जी महाराज के आशीर्वचन भी प्रेरणादायी रहे ।
अध्यक्षीय संबोधन में दिनेश संचेती 'दिनकर' ने शीतल जैन संप्रदाय की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे गुरुओं का, संत-साध्वीवृंद का एक गौरवशाली इतिहास रहा है ,जिसे अक्षुण्ण बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने वेणीचंद जी महाराज सहित महान गुरुओं की याद दिलाते हुए यश गुरुवर्या व मेवाड़ ज्योति प्रेमकंवर जी महाराज के तपःपूत जीवन को गर्व व गौरव का विषय बताया। जैन समाज की घटती संख्या एवं मनोमालिन्य पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने समाज को सावधान व सावचेत रहने का आह्वान भी किया। संचेती ने कहा कि यह समय पूर्ण सजगता, सहजता व एकीकरण का है, यदि ऐसा नहीं हो सका तो समाज के उत्थान का समुचित लाभ नहीं मिल सकेगा।
समारोह को राजेंद्र कुमार सिसोदिया, राजूलेन्द्र सुराणा, शिवकुमार पगारिया, विमल कुमार पगारिया, अमर सिंह डूंगरवाल ने भी संबोधित किया।
अध्यक्ष दिनेश संचेती के आह्वान पर संपूर्ण परिषदा की अनुमोदना के साथ नंदराय श्री संघ के अभिनंदनार्थ "यश गुरुवर्या के जीवनवृत" पर सर्वप्रथम लिखा ग्रंथ भेंट किया गया।
समारोह की सफलता में सुशील कुमार चौधरी, शांतिलाल बाबेल, देवेंद्र कुमार चौधरी, युवराज सिंह चौधरी, भारत सिंह बाबेल, प्रताप सिंह पोखरना, जगभान सिंह चौधरी , गुलाब सिंह चौरड़िया आदि का विशेष सहयोग रहा।
समारोह में ब्यावर, बेगूं, भीलवाड़ा, बीगोद, खटवाड़ा, जोजवा, मांडलगढ़, डोराई, अरनिया रासा, कोटडी सहित क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर अपनी विशिष्ट भूमिकाओं का निर्वहन किया। संघ मंत्री राजेंद्र कुमार सिसोदिया के संयोजन संचालन में हुए समारोह की गौरव गरिमा देखते बनती थी। खचाखच भरे स्थानक भवन में हर्ष-हर्ष, जय-जय के जयनाद गूंजते रहे। संघ द्वारा गौतम प्रसादी की व्यवस्था की सभी ने सराहना की तथा छोटे से संघ द्वारा किए शानदार आयोजन के प्रति आभार व्यक्त किया।