भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी अभियुक्त बरी

Update: 2025-04-03 18:02 GMT
भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी अभियुक्त बरी
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जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति मनोज कुमार गर्ग ने विशेष न्यायाधीश, सत्र न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मामलों), उदयपुर के 03.02.2020 को दिए गए निर्णय में आरोपी कमल मीणा को भ्रष्टाचार‍ निवारण‍ अधिनियम,‍ 1988 की धारा 7 के आरोप से दोषमुक्त किया।

मामले के तथ्यों के अनुसार, 03.12.2013 को शिकायतकर्ता नाथू लाल (PW-2) ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसीबी राजसमंद के पास एक लिखित शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे अपनी कृषि भूमि के लिए बिजली कनेक्शन के लिए निर्धारित राशि जमा करने कार्यालय गए थे, तो उन्हें कमल मीना , जे. ईएन. से संपर्क करने को कहा गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, कमल मीना ने दो हजार से तीन हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी।

रिश्वत के आरोपों से किया इंकार

इस शिकायत के आधार पर एसीबी ने जांच शुरू की और एक जाल बिछाया, लेकिन अभियुक्त ने रिश्वत की राशि स्वीकार नहीं की और बाद में मित्रों के माध्यम से यह संदेश भेजा कि उसने गलती की है और कोई कार्रवाई न की जाए। इस घटनाक्रम को देखते हुए अभियुक्त के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और जांच की गई। इसके बाद अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय किए गए और मुकदमा शुरू हुआ।

 

अदालत ने अभियुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार‍ निवारण‍ अधिनियम की धारा 7 के तहत आरोप तय किए थे, लेकिन ट्रायल के दौरान अभियुक्त के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किए गए। शिकायतकर्ता ने गवाही में रिश्वत की मांग के आरोपों से इंकार किया और वह शत्रुतापूर्ण गवाह बने।

आरोप के खिलाफ नहीं मिले सबूत

इसके अलावा, न तो रिश्वत की राशि अभियुक्त से जब्त की गई और न ही किसी तरह का साक्ष्य प्राप्त हुआ, जिससे अभियुक्त पर आरोप साबित हो सके। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष अपनी बात को सिद्ध करने में विफल रहा और मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण नहीं पेश किए गए।

अंतः उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा आरोपी को दोषी ठहराए जाने वाले फैसले को रद्द कर दिया और आरोपी को भ्रष्टाचार के आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।

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