जूट और कपड़े के बैग की डिमांड अब छू रही आसमान, एसएचजी की ग्रामीण महिलाएं भी तन्मयता से जुटीं बनाने में
राजसमंद (राव दिलीप सिंह परिहार)जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा के निर्देशन में शुरू किये गए प्रोजेक्ट सक्षम सखी एवं प्लास्टिक मुक्त राजसमंद अभियान के तहत राजीविका एसएचजी की सदस्य ग्रामीण महिलाएं जुट और कपड़े के बैग बना रही है ताकि समय पर ये जिलेभर में वितरित हो और आमजन में सिंगल यूज प्लास्टिक के बजाय पर्यावरण अनुकूल बैग उपयोग में लाने की आदत विकसित हो सके।
जिला कलक्टर भी अभियान की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक ऑर्डर एसएचजी को मिले और बैग भी समय पर तैयार होकर वितरित हो सकें।
राजीविका के जिला तकनीकी विशेषज्ञ मुकेश कुमार नवल ने बताया कि जिला कलक्टर द्वारा फिलहाल 51 हजार जुट और कपड़े के बैग वितरण करने का लक्ष्य लेकर कार्य किया जा रहा है जिसके तहत विभिन्न संस्थाओं द्वारा राजीविका को ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। जिला परियोजना प्रबंधक डॉ सुमन अजमेरा ने भी एसएचजी को समय पर ऑर्डर की पूर्ति करने के निर्देश दिए हैं कि ताकि समय पर भुगतान हो सके तथा आगे भी और ऑर्डर मिल सकें।
इन जुट और कपड़े के बैग का निर्माण जिले में राजीविका के तहत अलग-अलग स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जा रहा है जो अभियान की सफल क्रियान्विति के लिए तन्मयता से जुटी हुई हैं।
अब तक ये ऑर्डर हुए प्राप्त:
नवल ने बताया कि कलक्टर के प्रयासों से महज चंद दिनों में ही नगर परिषद द्वारा 2000 कपड़े के बैग, 2000 जुट के बैग, नगर पालिका नाथद्वारा ने 4000 कपड़े और 3000 जुट के बैग, पंचायतीराज विभाग ने 11000 कपड़े के बैग, खान एवं भू विज्ञान विभाग ने 1000 जूट के बैग और 4000 कपड़े के बैग, नगर पालिका देवगढ़ ने 1000 जुट के बैग और 3000 कपड़े के बैग के एडवांस ऑर्डर दिए हैं। इस तरह अब तक कुल 31 हजार बैग के ऑर्डर मिले हैं और शेष 20 हजार ऑर्डर भी विभिन्न संस्थाओं से चंद दिनों में मिलने की उम्मीद है।
हर व्यक्ति छोड़े प्लास्टिक, अपनाएं जुट-कपड़े के बैग:
जिला कलक्टर असावा ने आमजन से प्लास्टिक मुक्त राजसमंद अभियान को सफल बनाने की अपील की है। उन्होंए कहा है कि सभी अगर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने हेतु ठान लें तो वह दिन दूर नहीं जब राजसमंद प्लास्टिक मुक्त होगा। उन्होंने सभी लोगों से प्लास्टिक छोड़ने और अन्य लोगों को भी प्रेरित करने की की अपील की है।
सिंगल-यूज प्लास्टिक के हैं ये नुकसान:
सिंगल-यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। इसके व्यापक उपयोग के कारण पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा तेजी से बढ़ रहा है, जो जल स्रोतों, समुद्रों और मिट्टी को प्रदूषित करता है। चूंकि यह प्लास्टिक जैविक रूप से अपघटित नहीं होता, इसलिए यह सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में बना रहता है और वन्यजीवों के लिए घातक साबित हो सकता है। कई समुद्री जीव इस प्लास्टिक को भोजन समझकर निगल लेते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
सिंगल-यूज प्लास्टिक न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानवीय स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। इस संकट से निपटने के लिए प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करना, पुन: उपयोग को बढ़ावा देना और बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को अपनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
जिला प्रशासन के ये प्रयास न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।