पीपलून्द बाईपास:काश्तकारी भूमि को ‘भटेड’ बताकर चौपट मुआवजा तय, अधिकारियों की लापरवाही से बढ़ा आक्रोश

Update: 2025-11-14 03:50 GMT

जहाजपुर (मोहम्मद आज़ाद नेब).पीपलून्द बाईपास में राजस्व विभाग और सर्वे टीम की लापरवाही एक बार फिर किसानों की आजीविका पर चोट बनकर उभरी है। किसानों की काश्तकारी भूमि जहां वर्षों से सिंचाई, फसल उत्पादन और बिजली कनेक्शन मौजूद हैं उसे ‘भटेड भूमि’ घोषित कर कम मुआवजा तय करने से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश फैल गया है किसान इसे सीधा-सीधा आर्थिक शोषण और फर्जी सर्वे का खेल मान रहे हैं।

किसानों का कहना है कि किसानों की उपजाऊ जमीन को बंजर बताना अपराध कि क्षेणी में आता है‌ सरकारी अमले ने जमीन का सर्वे चुपचाप किया न किसी किसान को बुलाया और न ही आपत्ति का मौका दिया। सिंचित व उपजाऊ भूमि को ‘भटेड भूमि’ लिखकर प्रति बीघा मात्र 2 लाख का मुआवजा तय कर दिया गया, जबकि सिंचित भूमि का वास्तविक मुआवजा इससे कई ज्यादा है। किसानों के अनुसार यह “नीति नहीं, बल्कि साजिश” है जिससे सरकारी रिकॉर्ड के नाम पर किसानों के हक़ पर डाका डाला जा रहा है।

इस भूमि से ही हमारा परिवार पलता है। गेहूं, चना, सरसों, उड़द, मूंग… सब फसलें पैदा होती हैं। ऐसी उपजाऊ भूमि को भटेड लिख देना किसानों की रोटी पर लात मारना है।

उपखंड अधिकारी राजकेश मीणा ने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि किसानों की यह शिकायत गंभीर है। राजस्व व टेक्निकल टीम को बुलाकर पुन: सर्वे की मांग पर विचार करेंगे। किसानों को न्याय दिलाया जाएगा।

पीपलून्द बाईपास किसानों के विकास की नहीं, बल्कि किसान उत्पीड़न की प्रतीक बनती जा रही है। किसानों की मांग है—पूरी बाईपास भूमि का पुनःसर्वे हो, सिंचित भूमि का वास्तविक मुआवजा दिया जाए, दोषी कारिंदों पर कार्रवाई हो, और किसानों को समान एवं न्यायसंगत हक़ मिले।

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