शहीद दिवस पर स्वच्छता के कार्यक्रम से नववर्ष सप्ताह की शुरुआत
भीलवाड़ा। नववर्ष महोत्सव समिति के महानगर संयोजक विशाल गुरुजी ने बताया कि नववर्ष सप्ताह की शुरुआत 23 मार्च रविवार शहीद दिवस पर स्वच्छता अभियान से शहर के 17 स्थानों पर किया गया। यह समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। समिति द्वारा स्वच्छता के लिए शहर के प्रमुख स्थानों बड़ला चौराहा, महात्मा गांधी चिकित्सालय, रेल्वे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड, पथवारी सांगानेरी गेट, धांधोलाई(लव कुश उद्यान की पाल), मोक्ष धाम मिर्ची मंडी, आजाद नगर डिस्पेंसरी, चंद्रशेखर आजाद नगर मोक्ष धाम, जवाहर नगर मोक्ष धाम, बाल हनुमान मंदिर बापू नगर, हनुमान नगर मंदिर, आयुर्वेदिक औषधालय बापू नगर, चारभुजा मंदिर बिलिया पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। शहर के नागरिक एवं मातृशक्ति और नन्हे बालकों ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
23 मार्च से 30 मार्च तक नववर्ष सप्ताह में पूरे शहर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम बस्तियों के अनुसार आयोजित किए जाएंगे।
बडला चौराहे पर स्वच्छता कार्यक्रम पूज्य महामंडलेश्वर हंसाराम जी महाराज व काठिया बाबा बनवारी शरणजी महाराज ने शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पण कर,झाडू बुहार कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। बडला चौराहे से हरनी महादेव रोड पर तालाब के किनारे किनारे आगे डेयरी बूथ तक का लगभग 300 मीटर तक का एरिया साफ किया।
सवाई भोज नगर में स्वच्छता अभियान प्रारंभ महाप्रज्ञ सर्किल पर स्थित चंद्र शेखर आजाद जी के प्रतिमा स्थल पर साफ सफाई और उनकी प्रतिमा पर पुष्प माला पहनाकर शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर के किया गया।
समाज के सभी गणमान्य नागरिक और सभी जाती बिरादरियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उसके बाद सभी ने आजादनगर मोक्ष धाम की सफाई अभियान में भाग लिया। पन्ना धाय सर्किल पर अभियान समाप्त हुआ।
धांधोलाई(लव कुश उद्यान की पाल) स्वच्छता एवं शहीद भगत सिंह की श्रद्धांजलि का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
*भगत सिंह जीवन परिचय*
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के ज़िला लायलपुर (वर्तमान पाकिस्तान में लायलपुर ज़िला) के बंगा गाँव में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह एक किसान थे और उनकी माता विद्यावती देवी एक धार्मिक महिला थीं। भगत सिंह के परिवार में सिख धर्म की गहरी जड़ें थीं।
भगत सिंह का बचपन अपने परिवार के साथ बंगा गाँव में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के डीएवी स्कूल में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जाना और इसमें शामिल होने का फैसला किया।
भगत सिंह ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों की शुरुआत 1920 के दशक में की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए नौजवान भारत सभा और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसे संगठनों में शामिल हुए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों में भाग लिया और अपने विचारों के लिए जाने जाते थे।
भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की और उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित किया।