साहित्य

प्रेम दिवस पर विशेष कविता
ग़ज़ल: मैं भी निराला...!
जीता है देश दिल्ली हो विशेष...!
उम्मीदों का है वास...!
कौन सुने फरियाद...?
लोक-सेवकों‘ं के यहां भरा भण्डार है...?
आया बसंत पंचमी का पर्व...!
गणतंत्र दिवस है न्यारा...!
तुम कितनी थी करीब...!
कहॉ लगाऊ प्रश्नचिन्ह...?
इश्क में नाकाम हुआ...?
अब न रही सुरक्षित अस्थियां...?